न ख्यालों की आजादी
न ख्यालों में आजादी
न ख्यालों से आजादी-
11 OCT 2020 AT 9:08
"अभिव्यक्ति की आज़ादी" तक ही
'आज़ाद' है हम
वरना तो बस 'टुकड़ो' में
'बर्बाद' ही है हम-
12 SEP 2018 AT 18:59
बता रहे वो अब सबको,
कब किसके लिए लिखा जाए।
अनपढ़ भी पढ़ा रहे हमको,
कलम पकड़ना कैसे सीखा जाए।-
3 MAY 2021 AT 12:41
धारा के साथ तो मुर्दे बहते हैं।
ज़िंदा धारा के विपरीत तैरते हैं।-
4 JAN 2021 AT 7:19
"कला ख़तरे में है"
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ईश्वर का हवाला दे कर
कला पर लाठी उठाना
स्वयं ईश्वर पर लाठी उठाने जैसा है
वो ही ईश्वर
जो इस पूरे ब्रह्माण्ड का
सबसे पहला कलाकार है
वो जिसकी एक रचना तुम हो
और दूसरी - 'हम'
कला और मैं!-