प्रिय फूल,
अगर तुम्हें सच्चा दोस्त कहूं तो गलत नहीं होगा।क्योंकि एक सच्चा दोस्त ही यूँ सुख-दुख में साथ होता है।तुम भी बिल्कुल उस जैसे हो।
कभी अपनी खुशबु,यूँ हवाओं में बिखेर कर इस भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में,पल-दो-पल का सुकून दे जाते हों।
जैसे,एक दोस्त के बिना सारी महफ़िल अधूरी होती हैं,वहीं तुम्हारे बिना भी उन महफ़िलो में रौनक कहाँ होती हैं!
जहां बात करूं दुःख में साथ निभाने की,तो कभी कोई अपना मेरी क़ब्र पर,मेरे प्रिय फूल,तुझे रख,मुझे अकेला छोड़ जाएगा...पर तू,उसके जाने के बाद भी,मेरा साथ निभाएगा!!!
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