Neha Rahi   (Neha Rahi)
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कुछ अधूरे अहसास ....
मेरे जीवन को पूरा कर रहे है...
Joined 29 March 2020


कुछ अधूरे अहसास ....
मेरे जीवन को पूरा कर रहे है...
Joined 29 March 2020
15 JAN 2022 AT 11:32

बिखरी ज़ुल्फे
आंखों मे कई सवाल है
मरने से पहले जीना भी पड़ता है
ये सफ़र एक कठिन प्रयास है...🚶🏼‍♀️

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12 JAN 2022 AT 13:01

मैं दिमाग़ की गरम
दिल की नरम हूं...

मेरा कोई टूटा हुआ दिल नही
मैं वो शायरा हूं जो लिखती बेधड़क हूं...

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12 JAN 2022 AT 8:42

हवाएं काफी सर्द है..
मगर मैं तेरी यादों की गरमाहट से ज़िंदा हूं।

करली है सबने त्यारी मेरे जनाज़े की..
मगर हो रूकसती के वक्त तुम्हारे लबों का जाम
मैं उस इंतज़ार में जिंदा हूं ।

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10 JAN 2022 AT 18:40

खुदके जख्मों को खुद सील लेना...
गालिब ये ख्याल अच्छा है।

हम तो खुदके लिए ही संवरते थे ..
दुनिया वालो की उसपे भी तोहमत !
अमा मिया ये बवाल अच्छा है ।

हम ज़रा मुस्कुरा के गली से क्या गुजरे..
के हम मुस्कुरा के गली से क्या गुज़रे..
इश्क़ मोहब्बत की गुहार लगा दी है
भला ये मिजाज़ अच्छा है ।

गिर गए वो मकान भी जो मिस्त्री न बड़े सलीके से खड़े किए थे ..
फट गए वो कपड़े भी जो दर्जी ने बड़े मन से सीए थे..
फिर भी पत्थर दिल का इल्ज़ाम हम झेलते है ..
ये जीते-जी लाश को ढोना
ये वक्त से पहला इंतकाल अच्छा है।

कसम को कसम देकर तोड़ दिया हमारी ..
के कसम को कसम देकर तोड़ दिया हमारी..
और ज़माने वाले हमे कहते है राही मोहब्बत में ये तुम्हारा मज़ाक अच्छा है।

वो यूं रोज़ाना दूरी में दम भरते है ..
हम जुदा है उसकी खुशी की खातिर ..
और कहने को बेवफा का इल्ज़ाम अच्छा है।

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10 JAN 2022 AT 8:40

सवेरा भी आगया एक अंधेरी रात के बाद ...
शम्मा को भी बुझना पड़ा हमे जलाने के बाद ...
कब तक खुदसे खफा रहते यूं तू ही बता?
हमे भी मुस्कुराना पड़ा खुदके ज़क्मों को सिलने के बाद ।

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28 DEC 2021 AT 19:27

मैं खुदको उदास पाती हूं

मैं खुदको उदास पाती हूं..
जब भी अपने ज़ेहन में तेरा नाम लाती हूं..

इश्क़ तो किया था हमने हदों को तोड़ कर..
फिर क्यों मैं खुदको हताश पाती हूं।

दर्दों से खुदको बेज़ार कर रही हूं..
मैं खुदको रोज़ लाचार कर रही हूं
हां मैं खुदको उदास कर रही हूं।

जाने क्यों हर उन यादों में
मैं खुदको यूं दफ़न कर रही हूं..
जैसे खुदकी चिता पर कफ़न कर रही हूं।

मेरी परछाई मुझसे कई सवाल कर रही है
क्यों मैं खुदके हित में यूं बेवफाई लिख रही हूं??
मैं क्यों खुदको यूं उदास कर रही हूं।।

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27 DEC 2021 AT 22:27

ये सरमा की शाम है
कुछ हवाएं भी सर्द है
कुछ दिल उबाल लें रहा हैं
कुछ यूं तुम्हारा नाम ले रहा है
कुछ यादों की गर्माहट है
कुछ बातो की कयामत है
हमारा इश्क़ एक मर्तबा फिर आगाज़ ले रहा है
ये मौसम भी फरमान दे रहा है।
वो शक्स हमें फिर आवाज़ दे रहा है

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23 DEC 2021 AT 21:42

कृष्ण हुए तो रुक्मणि के
मगर लबों पे राधा नाम है
क्या ऐसा इश्क़ करना आसान है???

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21 DEC 2021 AT 11:14

मैं वो शख्स हूं
जिसकी शख़्सियत पहचान पाना
इतना भी आसान नहीं...

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18 DEC 2021 AT 12:56

हां ! मैं इश्क़ दुबारा कर रही हूं

सही या गलत किसे पता ?
मगर इश्क़ की चौखट एक मर्तबा फिर चढ़ रही हूं

खुद पे ऐतबार नही।
हां उसपे ऐतबार मैं फिर कर रही हूं

ना जाने सफ़र कहां से शुरू किया था।
ना जाने कौनसी राह मुड़ रही हूं।।

सही गलत नही पता।
मगर मैं इश्क़ दुबारा कर रही हूं..

उसके जूठे वादे है सारे शायद
ना जाने क्यों एक वादा फिर कर रही हूं ..

मैं आइने को देख फिर सवर रही हूं
उसकी दी हुई झुमकी भी पहन रही हूं..

मैं उसने उन्ही राहों में फिर मिल रही हुं
हां ...मैं इश्क़ दुबारा कर रही हूं..
नेहा राही








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