एक सवाल है तुमसे
मैं बिखर जाऊं
तों संभाल पाओगे ?
करूँ एक मर्तबा इज़हार
तों इश्क़ जता पाओगे ?
मैं प्रेम की जो करू शुरुवात
तुम प्रेमी बन पाओगे ?
मैं करूँ जो तुम्हें माफ़
तों अपनी गलती सुधार पाओगे?
चलो भुल जाओ मेरे बहते अश्कों को भीं
तों जो बेह गए अश्क़ उनको लौटा पाओगे? ?-
मेरे जीवन को पूरा कर रहे है...
खोने का डर कैसा
ज़ब पाने की हसरत ही नहीं रही
जितना जिया साथ तेरे काफ़ी था
अब साथ जीने की ख्वाहिश ही नहीं रही
यें कहना आसान है, यूं तों भुल जाओ उसे
कहने वाले खुद भुल पाए या उनकी अब वो कहानी ही नहीं रही
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Yaadein kitni bhi haseen kyu na ho kewal dard hi deti hai
kyunki yaadein hume hakikat se rubru hone hi nhi deti hai-
मैं शायरा हूँ जनाब
मै एक अलग अंदाज़ मे रहती हूँ
आप लिखते है डायरी आप बीती पर
मैं शायरी मे बातें बुनती हूँ
आप करते है बातें सीधी सीधी
मैं उतार चढ़ाव मे रहती हूँ
आपको मिली है जिंदिगी सीधी रेखा के भांति
मैं पहाड़ सी ज़िन्दगी सहती हूँ
आपकी बोलती है आँखे जो
मैं अपनी कलम से बोलने का अभ्यास करती हूँ
आपको दीखता होगा केवल दर्द अपना
मैं पराया दर्द भीं भली भांति बयां करती हूँ
तुम परेशान हो कुछ ही सवालों से
मैं हर सवाल को नया सवाल दिए फिरती हूँ-
मरने वाले की ज़ात क़्या थी
मरते वक़्त हाथ मे गीता या कुरान ,क़्या थी
यूं तों होता होगा रक्त लाल ही सभी का
या सबमे भरी गई अलग-अलग सियाही थी
जो पूछते है धर्म सभी का _2
उनसे पूछा जाएं जन्म से पहले किसने परीक्षा करवाई थी? ?
जो धर्म युद्ध पर चल पड़े
उनके मानव होने की किसने दी गवाही थी
यहां मरते लोग बेहता खून क्यों है
क्यूंकि हमें मानवता से पहले नीचता सिखाई थी
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यूं तों प्यार किसी को भीं होसकता है
हाँ मगर मुझे अब नहीं होगा
तेरा इंतज़ार किसी को भीं होसकता है
हाँ मगर मुझे अब नहीं होगा
इश्क़ पर एतबार होता है सभी को
हाँ मगर मुझे अब नहीं होगा
दिल को आराम होता था स्पर्श से तेरे
मगर मुझे अब आराम नहीं होगा
मिले ख़ुशी हर मोड़ पर ,तुझे दुआ लगे ताउम्र
हाँ मगर मेरी दुआ मे तेरा नाम अब नहीं होगा
तेरा हर इश्क़ हो मुकमल
हाँ मगर मुझे अब तुझसे इश्क़ नहीं होगा
आता होगा लबों पर नाम तेरा
हाँ मगर मेरी शायरी मे तेरा नाम नहीं होगा-
मैं ज़िन्दगी के इस पड़ाव मे हूँ
ख़ुश हूँ जिस हाल मे हूँ
झूठे रिश्ते थे वो सभी छोड़ गए
इसलिए आज सच के सामने हूँ
भीड़ निकली थी यूं तों साथ मेरे
आज अकेला बचा इस रहा मे हूँ
वक़्त ने दिखाए सब को सभी के रंग
ना जाने मैं बैठा किस मलाल मे हूँ
रोटी बिकती है यूं तों मेहंगी यहां
और सोचे भूख बेचारी मे क्यों बेहाल मे हूँ
मौत आनी सभी को है लेकिन
मौत सोचे घड़ी घड़ी बैठी मैं किस इंतज़ार मे हूँ
गांव छोड़ शहर आया कमाने मैं तों
लेकिन शहर बोले मै भीं जाता जीवन जीने गांव मे हूँ
कौन छोड़े इस घर को भीं ऐसे
पैसा ही जाने कितना लगा इस मकान मे हूँ
वक़्त तेह है यूं तों सभी के सफ़र का
और पैसा भीं है हैरान के मैं किस गुमान मे हूँ
neha rahi✍️
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तुम अपने आजीविका का करो चिंतन
मैं अपने अधिकार के लिए रण मे हूँ
तुम्हारा भविष्य होगा कुशल
मैं तों अभी जीवन मरण के संघर्ष मे हूँ
रज़ा पूछी जाएगी तुम्हारी ही हर बार
मैं तों आज़ाद होकर भीं कैद पिंजरे मे हूँ
बेटे की आस मे है यें संसार सारा
मैं टेहरी बेटी जो गर्व से ही कष्ट मे हूँ .........
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