खुदके जख्मों को खुद सील लेना...
गालिब ये ख्याल अच्छा है।
हम तो खुदके लिए ही संवरते थे ..
दुनिया वालो की उसपे भी तोहमत !
अमा मिया ये बवाल अच्छा है ।
हम ज़रा मुस्कुरा के गली से क्या गुजरे..
के हम मुस्कुरा के गली से क्या गुज़रे..
इश्क़ मोहब्बत की गुहार लगा दी है
भला ये मिजाज़ अच्छा है ।
गिर गए वो मकान भी जो मिस्त्री न बड़े सलीके से खड़े किए थे ..
फट गए वो कपड़े भी जो दर्जी ने बड़े मन से सीए थे..
फिर भी पत्थर दिल का इल्ज़ाम हम झेलते है ..
ये जीते-जी लाश को ढोना
ये वक्त से पहला इंतकाल अच्छा है।
कसम को कसम देकर तोड़ दिया हमारी ..
के कसम को कसम देकर तोड़ दिया हमारी..
और ज़माने वाले हमे कहते है राही मोहब्बत में ये तुम्हारा मज़ाक अच्छा है।
वो यूं रोज़ाना दूरी में दम भरते है ..
हम जुदा है उसकी खुशी की खातिर ..
और कहने को बेवफा का इल्ज़ाम अच्छा है।
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