में तो बादल हूं मोहब्बत का,
कहीं और भी बरस जाऊंगा.
तू अपना सोच बाद मेरे,
एक बूंद तक को तरस जाएगा.-
Ek boond me dard hai laakhon
Kehta hai aankh ka pani
Marham se bhi na bharegi
Apne zakhmon ki nishani
Haan sharte rakhi thi
khushiyon ne
Jinko tha dard me badalna
Lafzon ne chod rakha
tha hoton pe teharna-
एक बूंद
बूंद नहीं वह बहुत कुछ बताती है,
आकाश मे हो तो वर्शा कहलाती है,
पत्तो मे हो तो ओस कहलाती है,
चेहरे मे हो तो अश्रु कहलाती है।
देखने का ढंग है दोस्तों,
ऐसे तो बूंद एक सागर भी कहलाती है।-
तुम बिन मैं एक बूँद हूँ,
तुम मिलो तो सागर बन जाऊँ....
तुम बिन मैं एक धागा हूँ,
तुम मिलो तो चादर बन जाऊँ.....
तुम बिन मैं एक कागज हूँ ,
तुम मिलो तो किताब बन जाऊँ.......
तुम बिन मैं केवल शब्द हूँ ,
तुम मिलो तो प्रेमग्रंथ बन जाऊँ.....-
ओ मोहब्बत के बादल !
नाराज ना हो..
अभी तू उम्र से कच्चा है..
मेरे हमदम के आने में देरी है..
समझता ही नहीं,
दिल से तू अभी भी बच्चा है...
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बेवफ़ा बादल का इन्तज़ार क्यों करना !
जो हर जगह मोहब्बत लुटाता फिरें !
तु नहीं तो, कोई और बादल ही सही...
जरूर लिखा है ख़ुदा ने हिस्से मेरे !!-
काले बादल को मोहब्बत कितनी भी हो
लेकिन बिना बूंद के सहारे समुन्दर से नहीं मिल सकते-
उसके रुख्सार पर तुषार की एक बूंद रही
सरोज की कोर पर नीर की एक बूंद रही
ये मेरी प्यास की इकलौती एक बूंद रही
तालाश में सीप के स्वाति की एक बूंद रही-
नजरिया बदला
तरीका बदला
सीधी दुनिया को उल्टा देखा
और कैसे समेट लिया
पूरा विश्व खुद में
बस एक बूँद पानी ने-
ढल जाऊंगा समन्दर में
अभी बूंद हुं तो क्या हूं
उछलना मेरी भी फितरत है
लहरों में बंद हूं तो क्या हूं
कश्ती से अनजान हूं
तैरने में बलवान हूं
एक बूंद का कतरा हूं
सिमटने पर ब्रहामण हूं
रेत से अनजान हूं
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