Kanchan Rautela   (अल्फाज़-ए-ज़िन्दगी@achla)
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always happy
@kanchan.rautela.170419920102
Joined 17 August 2020


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25 JUL AT 20:50

मैंने मुंह मोड लिया....
प्यार के चलते...
जिम्मेदारी के चलते....
सोचने लगी थी...
इक बार कर लूँ पूरी...
जो ज़िम्मेदारियां रह गयी अधूरी...
जब तक खुद को जान सकी मैं...
तब तक छूट गयी थी मज़िल...
बच गये थे खंडर सपनों के...
भूल गयी थी जीवंत महफ़िल...
जहाँ ज़िंदगी गले लगी थी...
प्यार से....
विश्वास से....

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20 JUL AT 9:37

कुछ तो कर दिखलाने दो..
बेड़ियों में न बांधो मुझको,
अपनी राह बनाने दो...
छोटी सी है दुनिया मेरी..
छोटा सा मेरा संसार...
करना चाहूँ मैं भी उसमें...
थोड़ा सा और विस्तार...
सपने मेरे इतने हैं कि,
क्या छोडूं; क्या याद करूँ..
थोड़ा सा अधिकार मिले तो..
उनको मैं साकार करूँ।
थोड़ा सा अधिकार मिले तो..
उनको मैं साकार करूँ।।

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18 JUL AT 15:42

बुलाता है मुझे...
हर शाम ढल जाती है,
तेरे इंतज़ार में बैठे हुए....
क्यों हमें समझ नहीं आता?
कि नहीं आओगे अब...
ज़िंदगी सूनी हो गयी है;
कि नहीं दिख पाओगे अब;
हाँ, जानते हैं...
हाँ, जानते हैं कि....
चले गये हो वहाँ,
जहाँ से लौटने का रास्ता नहीं।
हाँ मान लेंगे हम,
अब हम से आपका वास्ता नहीं।।

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16 JUL AT 18:16

बेशक!
बेइंतेहा मोहब्बत की होगी तुमने...
क्या तुमने कभी मोहब्बत निभाई भी है?
मिले होंगे हज़ारों मौके तुम्हें कभी न कभी...
क्या तुमने कभी मोहब्बत जताई भी है?
फिर क्यों हैं तुम्हें, गिले शिकवे हमसे???
क्यों हम पर उंगलियां उठाते फिरते हो?
क़सूर क्या है; हम नहीं जानते...
क्या तुमने कभी गलती बताई भी है??

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15 JUL AT 8:17

कुछ बातों से...
कुछ यादों से...
कुछ वादों से...
कुछ इरादों से...
कहने को ज़िंदगी;
बहुत छोटी है मगर...
लेकिन उसे संवारना पड़ता है।
कुछ अंजाने नातों से..
जो बन जाते हैं ख़ास...
कुछ सुनहरी यादें देकर।।

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13 JUL AT 10:34

अजीब सी कश्मकश में है ज़िंदगी...
दिल की सुनें; तो जान से जायेंगे,
जान की सुनें; तो दिल से जायेंगे ।।

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11 JUL AT 14:41

हमने भी तुम जैसे अपनी दुनिया बसायी होती।
ना रहता तुमसे नाता, ना रखते तुमसे वास्ता
काश हमने भी अपनी ज़िंदगी तुम जैसी बनाई होती।।

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11 JUL AT 14:30

सुनो!
अगर नये रिश्ते,
बन रहे हैं दिल से अपने...
और रिश्ते पुराने;
बने हुए है,दिल का नासूर...
तो छोड़ देना ही बेहतर है...
जो दें दिल को दर्द...
और बनें रहें बेक़सूर।।

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9 JUL AT 12:31

वीरान ज़िंदगी को सहारा दिखा दो।।

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9 JUL AT 9:06

मेरी ज़िंदगी की हर डोर
तुमसे जुड़ी हुई है.....
तुम मानो या ना मानो,
मेरी हर राह तेरी ओर मुड़ी हुई है....
तुम क्यों नहीं समझते??
मेरे दिल के ज़ज़्बातों को....
कदर नहीं भावनाओं की,
या भूल गये अपनी कही बातों को।।

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