Ansh Agarwal   (अंश अग्रवाल)
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Joined 10 February 2018


Joined 10 February 2018
20 JAN 2023 AT 12:15

गॉंव से शहर को जाती सङक की तरह
बिछङते वक्त उसने कभी मुङ कर नहीं देखा

उसे मेरी शायरी समझ नही आती
मैनें इससे बङा दुख नही देखा

छुआ है उसे मगर हाथों से काम नही लिया
आँखों को इतनी शफाक़त से काम करते नही देखा

ये सुनकर कि रफ्ता - रफ्ता मुझसे दूर हो जाओगी
मैने उसके माथे पर शिकन का एक कतरा नही देखा

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20 JAN 2023 AT 11:54

वो अलंकारों में भी निकले अन्नवय अलंकार
हम उपमान भी लाते तो लाते कहॉं से

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25 AUG 2022 AT 22:22

आगे बुनने की चाहत में सलाई में फंदे छोड़ देता हूँ
कुछ बातें मैं रोज़ अधूरी छोड़ देता हूँ

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18 AUG 2022 AT 0:46

उसके कान के बुँदे का काला रंग
अरसे बाद पता लगा दिल का रंग था

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6 JUL 2022 AT 0:17

माथे पर बल,आंखो में आँसू ,दिल में घबराहट कैसे छुपाऊँ मैं
ऐ बिछड़ने वाले तूही बता हस्ते हस्ते तुझे कैसे जुदा करू मैं

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23 MAR 2022 AT 2:30

लोग अगर सिर्फ रस्म-ए-अदाई ना करते तो
हर 'क्या हुआ' का जवाब 'कुछ नहीं' नही होता

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6 MAR 2022 AT 22:04

Inundate the land
by thoughts






Dwindle the land
of sorrow

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26 FEB 2022 AT 2:32

The thing you own in the absolute nature is PAIN

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18 FEB 2022 AT 19:17

The beauty adorn's her — % &

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16 FEB 2022 AT 19:32

मोह्बत में कोई हारा नही हूँ मैं
जीत गया था सो बिछड़ गया हूँ मैं

कुछ अलग ही मिजाज़ है उसके शहर का
कदम कदम पर ठगा गया हूँ मैं

गर्माहट तो बहुत है उसकी बॉहों में
ठीक हूँ बस उनमे नही हूँ मैं

दोस्त कहते है मुकमल इश्क़ है तेरा
टूट कर उससे और जुड़ गया हूँ मैं

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