समन्दर का नज़ारा साथ हल्की धूप का
जैसे हर पल साथ तेरे मेरे कदमों का-
हर बार आप मुझ पर यूं इल्जाम ना लगाया कीजिए
कड़ी धूप है छत पे यू दिन में न आया कीजिए-
पर्दे से झांकती
मेरी मासूमियत,
इसे अंदर ही
कैद कर के
रख लिया मैंने।
तेरे छल की
धूप में झुलस
ना जाऊं कहीं,
यूं छांव में भी
खुद को खिला
रखा मैंने।
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कोई कुछ भी बोले
आपनें आप को शांत रखो
क्योंकि धुप कितनीं भी तेज़ हों
समंदर को सूखा नहीं सकती .-
ये वक़्त वक़्त की ,
बात है जनाब...
आज धूप में सुकून है...
तो कल इसी धूप से ,
तुम्हें जलन होगी..!!!👌👌-
गायब हो गये तुम सर्दी मे धुप की तरह
यादे लिपटी रही तुम्हारी कम्बल की तरह-
धूप हो या छांव तेरा
दीदार जरूरी है
बारिश में तेरा
साथ जरूरी है
और कुछ नहीं बस
एक मुलाकात जरूरी है-
वो धुप लौट आओ न फिर से, क्यू इतना तड़पाते हो,
अहमियत पता चल गई तेरी, अब और कितना भीगाते हो,
😁😁-
सर्दियों की सिहरन भरी सुबह और एक गरम प्याली चाय मौसम का वो ठंडा-ठंडा मिजाज़ और सूरज का अम्बर पे आकर हौले से झाँकना बड़ा ही प्यारा सा लगा 🌥️☃️☀️
सौम्या😘🥰😇😍👌सिंह-