एक – एक दिन थे रंग – बिरंगे, हंसते – रोते जो काटे थे
हम दोनों अपनी ग़म और ख़ुशी, साथ जो मिलकर बांटे थे
लम्हा - लम्हा जोड़ - जोड़ कर, सींचा यूं रिश्ता अपना था
एक पल में सब तुम तोड़ चले, बताओ तो क्या ये सपना था
जो मैने ख़्वाब बुना तेरे संग, पूरा किसके संग करना है
मेरी घुटती है सांसे अब, मुझे जीना है या मरना है
सब फैसला तुमने कर डाला, जब जैसा तुम समझ पाए
एक खयाल तो रखना था दिल में, कोई जीते जी न मर जाए
चलते – चलते बीच डगर क्यों, रस्ता अपना मोड़ दिया
आख़िर क्या थी गलती मेरी, क्यों बीच सफ़र में छोड़ दिया
क्यों भूल गए सब याद नहीं, कैसे बेचैन हो जाते थे
आधी रात हो या सुबह अंधेरी, तेरी ख़ातिर हम जागे थे
याद कर वो दिन रंग – बिरंगे, जो हंसते रोते हम काटे थे
हम दोनों अपनी ग़म और ख़ुशी साथ में मिलकर बांटे थे ...
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थोडा वक़्त 🕒 चाहिये खुद👱 से रुबरु होने को ।।☹?
If yo... read more
इकतरफा मोहब्बत
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कोई अचानक हीं हमें मिलता हैं
और हम उसे अपने दिल में दाख़िल कर लेते हैं
उससे मशवरे नहीं करते
अपनी मर्जी से उसे अपनी मंजिल कर लेते हैं
जैसे बस वही है जो अब रह गया हो जिंदगी में करना हासिल
बेवजह बेफिज़ूली ख़्वाब दिलों दिमाग़ में कामिल कर लेते हैं
गुज़रते दिन जो बेहतरीन ना सही लेकिन ठीक – ठाक हैं
उसे यूं बेवजह हीं अपनी ज़िद से मुश्किल कर लेते हैं
फ़िर करते हैं कोशिशें कितनी भी इन सबसे बाहर आने की
आ नहीं पाते ऐसी जकड़न में ख़ुद को शामिल कर लेते हैं
ख़ुद हीं बन जाते हैं फ़िर ख़ुद के गुनेहगार
ख़ुद को हीं ख़ुद का क़ातिल कर लेते हैं ...
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कितना हीं बदलते लोगों के साथ life spend करें
अब चाहिए कोई जो हमें भी understand करे
उलझ कर बैठे हैं तन्हा यूं अपनी कश्मकश में
कोई तो हो जो हमारी तरफ़ भी अपना hand करे
किसी के साथ रहे simple चले straight जो ना हमें और bend करे
वो होती है ना अचानक से insta YouTube per जैसे
ख्वाइश है ऐसा हीं कुछ किसी के साथ अपना भी reletionship trend करे
जिससे अपनी हर छोटी – बड़ी बातें हो
जिसके नाम अपने भी दिन ओर रातें हो
कोई ऐसा हो जिसे हम अपने हर लम्हें की दास्तां send kare
कोई ख़ास बेहद ख़ास बने किसी के साथ दिल से एक एहसास बने
जिसके साथ जिए हर लम्हें बेहतरीन
और फ़िर उसी के साथ बढ़ते – बढ़ते life का the end करें ...-
मेरे हवाले से तूने अपने लबों पर इनकार रख रक्खा है
ये जानते हुए भी तेरे लिए मेरे दिल में मैने प्यार रख रक्खा है
सारी नाराज़गी ना समझी तेरी एक रोज़ ख़त्म होगी
एक वक़्त बदलेगा ये इनकार भी मैने एतबार रख रक्खा है
तू कभी आयेगा मेरी मोहब्बत को क़र्ज़ समझ हीं वफ़ा करने
यूं समझकर के तुझपर किसी ने मोहब्बत उधार रख रक्खा है
और तेरे आने पर ना बंद मेरे घर का तुझे दरवाज़ा मिले
इसलिए तेरे ख़ातिर मेरा हर दिन समझ इतवार रख रक्खा है
सच है नहीं चुना अब तक अपने सफ़र में नया हमसफर कोई
तेरे लौट आने का मैने कुछ इस क़दर इंतेज़ार रख रक्खा है
जानते हुए भी सभी एहसास मेरे बेफिजूल साबित हैं
फ़िर भी ना जाने क्यों मैने सिर ये आशिक़ी बुखार रख रक्खा है ..-
ये सुलझी सी उलझी लड़की
जाने क्या दिल में रखती है
मैं भी थोड़ा हैरां हूं अभी
क्या असल में है - क्या लगती है-
अक्सर हीं
ये सुकूँ की चादर
चढ़ती है बस रातों को
मैं उलझ - सुलझ के उलझ रहा हूँ
कैसे रोकूं जज़्बातों को ...
Full Peice In The Caption-
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ❤❤
अपने रूठे छूटे दोस्तों को याद करो उनसे बात करो,
मनाओ किसी को तो किसी से मान जाओ,
कुछ लम्हें की और बची है जिंदगी
दूरी करने से बेहतर है हँस के गले लगाओ 😇🤍-
क्या थी गलतियां मेरी क्या कसूर हमारा था
मिजाज़ तुम्हारे बिगड़े दिल तुम्हारा आवारा था
मुझे क्यूं तोड़ ले कर गए थे बताओ साथ अपने तुम
दिन तो तुम्हारे अच्छे थे किसी ने तुम्हें पुकारा था
ये जो कुछ कर रहे थे तुम ज़रा तो फिक्र कर लेते
थोड़ा खैर करते तुम मुझपर हक़ तुम्हारा था
मुझे तो थी ख़बर आख़िर के मेरा क्या हीं होना है
प्यार तो था नही मुझसे मैं तो बस सहारा था
मुझे तुम छोड़ जाते थे ये जिस इंसान के हाथों में
वो जाते हीं तेरे कचरे में मुझको फेंक जा रहा था
अब बस हुआ प्रवीण ना लो अब इम्तिहां मेरी
पूछा आज गुलाबों ने के हमने क्या बिगाड़ा था ..।।-
एक वक्त खर्च करने होते हैं
तब कहीं जाकर एक दोस्त मिलता है
वो जो हुबहू आपके जैसा नही होता
पर आपका होता है ...-
आज़ाद होना चाहता हूं
इस घुटन से
जो सांसे तो देती है
पर सुकून नही देती ...
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