कल आंखों से आंसू चीख कर छलके।
जहीन तूने दामन में कुछ कांटे पाल रखे हैं॥-
दामन
आज जी भर कर हम रोना चाहते हे।
किसी का दामन हो भिगोना चाहते हे।
आज रह रह कर हमारी आँखें भरे।
हुये आज दिल के हर घाव हरे।
जालीम दुनीया के सामने रोने को डरे।
दिल भरा गम से, आँखें भरी आँसूओं से।
आँसूओ से हम गम को धोना चाहते हे।
किसी का दामन हो भिगोना चाहते हे।-
_नकाब_
तेरे दामन की खातिर
जिनेका हिसाब बदला है...
रूह वही पुरानी है दोस्त...
हमने बस नकाब बदला है...
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प्रेम का डोर टूट गया...
तु मुझसे क्यों रूठ गया...??
मैं था तेरा तू थी मेरी...
फिर क्यों प्रीत का दामन छूट गया...??
क्यों हमारा बंधन टूट गया...??-
बिना वजह क्यों बात को बढ़ाते हो
क्यों अपने दामन को दाग़ो से सजाते हो....!
जिनको आती नहीं रिश्तों कि हिफाज़त करना
क्यों उनके आगे खुद को गिराते हो ...!!!-
कुछ सिले इस जहां के लिए नहीं होते..!
ऐ काश हम तुझसे यूं मिले नहीं होते..!!
पाक होता आज मेरा भी दामन..!
तो ज़िन्दगी से इतने गिले ना होते..!!
उड़ा देता था मैं लोगो की बातें हसीं में..!
गर ना करता ऐसा तो ताने मिले नहीं होते..!!
दे सकता था मैं भी उन्हें करारा सा जवाब..!
गर कसमों से तुम मेरे होंठ सिले ना होते..!!-
कभी अश्क से सहारा, कभी खुदको दामन से छुपा रहे हैं ज़ुबाँ से नहीं निकलते मेरे अल्फाज़ ये मेरे हालात बता रहे हैं ।।
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खयाल आया की थामेंगे तनहाई का दामन
मुड़ के देखा तो बाहें फैलाए खड़ी थी।-
उमंगे जो दफन कर रखी थी कहीं सीने में,
वो मानो यकायक परत दर परत उभर आईं हैं
जैसे काली अंधियारी रात में,
जुगनूओं की बारात आई हैं…
चाह कर भी अनदेखा न कर पाई
कुछ ने दामन पर मेरे आ कर शोभा बढ़ाई है
असमंजस में हूं इन पलों को देख कर अपनी झोली में
मुझे शुभा सा है,
कही खुशियों ने गलती से मेरे दर पर दस्तक दी है
जी चाहता तो है ऐतबार करना,
पर किस्मत से मैंने हर बार मात खाई है
लाख समभालना चाहा खुद को
पर दिल से इक सादा आई है
खैर छोड़ो इतना भी क्या सोचना आर्ची
किस्मत शायद नई सौगात लेकर आई है
(सादा- आवाज)-
मिट भी जाऊं तो उफफ ना करना मेरी माँ
तेरे दामन में दाग आने से बेहतर है दमन मेरा।।-