तुम्हारें कॉलेज की रंगीन लाइब्रेरी में
ना जाने कितने
इश्क़ मुकम्मल हुए..
ना जाने कितनी ही प्रेम कहानीयां
अधूरी रह गई..
तुम्हारा मेरे मेडिसिन के किताबों में
उसमें छुपे प्रेम पत्र की खुशबू
आज भी महसूस होती है..
तुम्हारे चेहरे की मुस्कुराहट का
यूं मेरा हंस के दीदार करना
सच में मेरा वो पागलपन था..
तुम्हारे बाहों में दिल के धड़कनों का संगम
मेरे बेचैन रूह को समाप्त
करते हुए तुम्हारे चुम्बन
सचमुच बहुत ही कातिलाना थे...!-
#ClassesBunk
जब कोई चारा नहीं होता था मज़बूरी का नाम महात्मा गाँधी बन जाया करता था तब लेनी पड़ती कुछ classes थी क्यूंकि हाजिरी हमारी पेपर्स मै बैठने के लिए कम जो होती थी.. तो दिखानी पड़ती शक्ल थी वो समय भी वहाँ ये सोच कर रुक जाया करता था कैसे बहाने खोर है ये.. झूठ बोलने की भी सारी हदे पार कर रहे है..😂और तभी कहाँ ये पढ़ाएंगे नए नए तरीको से करना इन्हे आपने गुरूजी को परेशान है और पूरी class भी हस जाया करती थी जब हम यार एक साथ मिल कर फ़ोन मै गाने बजा देते थे.. गुरूजी भी हमारी कुछ इस तरह से डाट लगया करती थी हस्ते हस्ते वो ये कहे जाया करती थी अब तो सुधर जाओ नालयको 🤣-
Beginners with paramount desires..
Prompted precisely for professional attires..
Arriving on an ambitious college journey..
Gone are days when strolled on knee..
Dream in eye, excitement in heart..
Contrasting lands, nevertheless not apart..-
कॉलेज के अल्फाज़ - 2016
परिंदों की तरह आँखों में कुछ अपने,
तो कुछ अपनो के सपने लेकर आये थे..कॉलेज में,
यहां पर कोई वजह लेकर, तो कोई बेवजह ही आये थे
समय के साथ हर कोई इस पन्नो में उतर गया
जो B.Com की फुल फॉर्म भी नहीं जानता था
आज वो भी सारे Accounting के नियम जान गए..
चाहे अपने Class में कोई एक 1st आ जाय पर..
हम बाकी सब के लिए ये तीन साल,
किसी गोल्ड मेडल से कम नहीं है..
अब देखो वक़्त ने कैसा मोड़ ले लिया,
तीन साल के सफर को
आखिरी तीन घंटों में बदल दिया,
बस जब भी याद आयेंगे यह कॉलेज के अल्फाज़
तब मुस्कुरा जाएंगे हम..!!
-
वो जगने वाली रातें और सोने वाले दिन,
कोरी हैं कॉलेज की यादें उन यारों के बिन!
वो कैंटीन पे देर रात वाली चाय, काश फिर लौट आए,
आज किसकी बारी है पिलाने की, अब किससे कहा जाए!-
Common offs, Classes bunked.
Movies, trips planned.
Golden days,
Disappeared.-
नहीं पता कि फिर कहां मुलाकात होगी...
सुबह से शाम, शाम से रात होगी,
पर न जाने किसके साथ होगी..
यारों के साथ बिताया हर पल याद आएगा,
नम आंखों से सारा मंज़र नज़र आएगा.. कि..
कैसे साथ के इतने दिन गुज़र गए,
क्या-क्या किये और बिछड़ गए..
टीचर की डांट, सीनियर की फटकार,
असाइनमेंट की टेंशन और दोस्तों का प्यार..
सबके बीच रहकर जो सुकून नसीब होता था,
वो फिर मिले न मिले..
साथ में होते तो सुलझा लेते थे हर उलझन,
फिर यही किस्मत मिले न मिले..
बड़ा ही सच्चा और अच्छा सफर तय किया है,
साथ बिताया हर पल दिल के एक कोने में महफूज़ किया है..
गिले शिकवे को मिटा कर आगे बढ़ते रहना यारों..
और ज़िन्दगी के किसी न किसी मोड़ पर मिलते रहना यारों...
नहीं पता कि फिर कहां मुलाकात होगी...
सुबह से शाम, शाम से रात होगी,
पर न जाने किसके साथ होगी..-
ಬಯಸದೇ ಬಂದ ಭಾಗ್ಯವದು!!ನನ್ನ ನೆಚ್ಚಿನ ದಿನವದುಅದೇ ನನ್ನ ಸನ್ಮಾನದ ದಿನ
ನನ್ನ ಖುಷಿಗೆ ಪಾರವೇ ಇಲ್ಲದಂತಾಗಿತ್ತು ಆ ದಿನ..
ಆ ದಿನವ ಮರಳಿ ಪಡೆಯಲು ಮತ್ತೊಮ್ಮೆ ಹೊಸ ವಿಷಯದಿ ಪ್ರಯತ್ನಿಸುತ್ತಿರುವೆನು.. ಗೆಲುವಿನ ರುಚಿ ಒಮ್ಮೆ ನೋಡಿದರೆ ಮತ್ತೊಮ್ಮೆ ನೋಡಬೇಕೆನ್ನುವ ಹಂಬಲ ನನ್ನದು...ಒಂದು ಗೆಲುವಿಗಾಗಿ ಸಾವಿರ ಸೋಲು ಬಂದರೂ ಚಿಂತೆಯಿಲ್ಲ, ಗೆದ್ದೇಗೆಲ್ಲುವೆನು ಒಂದಲ್ಲಾ ಒಂದು ದಿನ....-
सुबह 8 वाली class में
Students नहीं....
Zinda laashein पढ़ने
आती hain😏😐-