"कैसे हो"??
बड़ा अजीब सा सवाल है ये......
1.इसका जवाब क्या होगा, ये सवाल किसने पूछा है इस बात पर निर्भर करता है
2.पूछने वाला खास भी हुआ फिर भी, उसके पास समय कितना है आपके लिए, ये महत्वपूर्ण हो जाता है
3. वो अकेला है या लोगो केे साथ, इस बात से भी आप "कैसे हो" का उत्तर बदल देते है
बहुत सारी चीजें है जिसकी वजह से आप इसका उत्तर "मैं अच्छा/अच्छी हूँ" बोलके खत्म कर देते है....
क्या सच में इस सवाल का उत्तर "मैं अच्छा हूँ" ही था!!!!
चलो छोड़ो ये सारी बातें......
कैसे हो आप??
i have to go to sleep. Good night!!
अब आप निर्णय ले की आप इसका उत्तर क्या देना चाहेगें???
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तेरी हवाओं में इश्क की बरसात हुई,
मेरी ही जमीं इश्क के लिए तरसती रहीं।
बहुत बहलाया अपने इस दिल को,
पर आँखे तेरे दीदार को बरसती रहीं।
लाख कोशिश की हमारी मुलाकातें भुलाने की,
पर हमारी मुलाकातों की खुशबू महकती रहीं।
बहुत भागी तेरी यादों के शहर से दूर,
पर यादें धड़कन बन साथ धड़कती रहीं।
मीलों दूर हो कर भी तू पास रहा हरदम,
पर भूल गई हूँ तूझे हरपल यही समझती रहीं।-
जीते जी जिनको आती थी बदबू मुझसे
लाए हैं मनों चन्दन जलाने को शमशान में
उड़ गए अपना घर बसाने बच्चे बड़े होते
रह गईं जिंदगी थम कर खाली मकान में-
मौसम-ए-हयात में किसी ने ख़बर न ली ,
मरने के बाद चर्चा है मेरा जहान में ।
वाह दुनिया वाह................-
உனக்காக வாழ்ந்தேன் என்பதும் உனக்கு தெரியாது....
உன்னால் தான் அழுகிறேன் என்பதும் உனக்கு தெரியாது...
உயர பறக்க ஆசை இருந்தது
ஆனால் நீ என்னை தூக்கி எறியும் வரை அதற்கான வாய்ப்பு எனக்கு கிடைக்கவில்லை.....-
सुन खुदा, जो बचे बाद सबके
तुम मुझे उससे एक कम देना,
कभी ना टूटे सब्र का बांध मेरा
भर भर कर मुझमें संयम देना।
ये जो तड़पती भीड़ है बाजार
उनके दर्द में ये आँखें नम देना,
जब मुझमें कभी छटपटाहट हो
भर भर कर मुझमें संयम देना।
भागती दौड़ती सी जिंदगी मेरी
पड़ाव में सुकून का आलम देना,
विचलित हों जब सोच व कदम
भर भर कर मुझमें संयम देना।
न तुलना, न भेद भाव हो मन में
तू चाहे तो परिणाम दोयम देना,
जो उठें उंगलियाँ कोसने को तुझे
भर भर कर मुझमें संयम देना।।-
ಎದೆಯ ಭಾವನೆಗಳಿಗೆ
ಮನದ ನೋವುಗಳಿಗೆ
ಕಾಡುವ ನೆನಪುಗಳಿಗೆ
ಕರ್ತೃ,ಕರ್ಮ,ಕ್ರಿಯಾ
ನೀನೇ ಅಲ್ಲವೇ???-
Darga men fatiya padha
Kabar me janaza ka namaz
Ada kiya t'ki safar sahi ho...-