मेरी बहना दर्द न सहना ,
पड़े मुसीबत मुझसे कहना ।
भाई करेगा तेरी हिफ़ाज़त,
यूं ही नहीं ये धागा पहना ।।-
Office Superintendent
W.C. Railway BHOPAL
योम-ए-पैदाइश -15 February
हमने मर मर के काटी है ये ज़िन्दगी....,
जागी जीने की ख़्वाहिश तो मौत आ गई ।-
इतना ग़ुरूर क्यों आख़िर ।
अपनों से दूर क्यों आख़िर ।।
लहजे में ला ज़रा नरमीं ।
बना है खजूर क्यों आख़िर ।।
आने दो मौत बरहक़ है ।
इतना फ़ितूर क्यों आख़िर ।।
है सूरत बुरी मिली रब से ।
अपना क़सूर क्यों आख़िर ।।
बस नाम ही लिया तेरा ।
इतना सुरूर क्यों आख़िर ।।
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निकली है बात हुसैन की तो इतना बता दूं
शुजाअत में वो थे हैदर - क़ररार की तरह ।-
उसकी ख़ातिर सारी दुनिया से बग़ावत हो गई।
इस क़दर अच्छा लगा वो कि मोहब्बत हो गई।।-
ख़त्म करो अब सारा झमेला, वर्ना लग जाएगा मेला।
ब से बाबा द से दीदी Your Quote ने सबको झेला ।।
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सरसरी निगाह से
क्यों दिल पे घात करते हो ।
मोहब्बत तो हो चुकी
तुम कैसी बात करते हो ।।
( Only Shayri Caption Collab)-
पतझड़ में भी,अंधेरे में हम आएंगे नज़र ,
छांव न तुमको दे सकें हम वो नहीं शजर।-
दिन रात जगने वालों को सुला देती है एक दिन ,
मौत अच्छे अच्छों को रुला देती है एक दिन ।
याद रक्खेगा कोई तुमको ये ग़लत फ़हमी है ,
बे-वफ़ा ये दुनिया सब भुला देती है एक दिन ।।
Anwer Hashmi
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