समाज में किसी औरत को "चरित्रहीन" कह देना इतना ही आसान है.....
जितना रोते हुए मर्द को यह कहना की "मर्द को दर्द नहीं होता"
जबकि दोनों ही सूरतों में हम यह जानते हैं की यह केवल समाज का छलावा है जो इंसान को इंसान ही बनने से रोकती है....-
वो जो चरित्रहीन कहते है सरे बाजार औरत को......
समझनी है उनसे इक रोज परिभाषा चरित्रहीन की...
जानना है उनसे कि औरत पैदा चरित्र हीन होती है...
या उसे चरित्रहीन बनाया किसी मर्द ने...???
वो खुद करती हैं इस कर्म को..!!!
या मजबूर किया समाज ने....????
कही ना कही जिस्म की भूख के आगे...!!!
पेट की भूख हारी होगी...????
शायद तभी एक औरत चरित्रहीन कहलायी होगी..💞💞
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कोई स्त्री अकेले ही चरित्रहीन नहीं हो सकती है,
जब तक की पुरुष चरित्रहीन नहीं होते।-
एक स्त्री और पुरुष की सच्ची मित्रता
किसी शक की मोहताज नहीं होती
अपनी सोच को बदलिए...
प्यार किया पिता से तो
अच्छी बेटी कहलाई...
प्यार किया भाई से तो
अच्छी बहना कहलाई...
प्यार किया पति से तो
पतिव्रता कहलाई...
सेवा की जब ससुर की तो
बो संस्कारी बहु कहलाई...
ममत्व जताया बेटों पर तो
ममता मूर्त कहलाई...
एक दोस्त बनाया सच्चे दिल से तो
क्यों वो चरित्रहीन कहलाई..??
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राम की अयोध्या में
वह चरित्रहीन थी
रावण की अशोक वाटिका में
सीता परित्यक्ता नहीं थी-
विहीन दुर्जन कायाकल्प से ,स्त्री हुई बेटी के कल्प से।
महीन अंजन कल्पवृक्ष में,कच्चा सूत लपेटे विकल्प से।।-
मर्द रो नहीं सकता दर्द छुपाना पड़ता
दुनिया के सामने छुठी मुस्कराहट लाना पड़ता है-
जिसे देखो "स्त्री" के लिये बना लेते है मनघडंत "चित्र",
लोगों का तो नही पता पर उनकी सोच तो है "विचित्र",
अग्नि परीक्षा सीता ने भी दी थी जब कि थी वो "पवित्र",
अरे! अपने "गिरेबान" में भी कभी झांको पहले देखो अपना "चरित्र".।-
চরিত্রহীন -১
সময়টাকে সময় দিতে বলেছিলাম প্রিয়, প্রেমিককে নয়। প্রেমিকরা কেউ ভালো নয়, সবাই চরিত্রহীন ই হয়।। 🖤
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