Karl Marx kah gaye Tolstoy se,
Aisa bhi din aayega..
Bawarchiyon mein 1 aisa bhi hoga jo Bani Banayi Roti pe sirf Ghee laga dega...
Aur wahi sabka Chaheta Hoga..!
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आपके सामने क्या हैं हम, अजी घासफूस हैं,
आप एटम बम हैं, हम तो खाली कारतूस हैं।
काम ही तो करते फिरते हैं हम कामचोर,
आप कायदे आज़म हैं, क्योंकि चापलूस हैं।-
कि धोखे से भरी है यह दुनिया किस-किस को समझाये।।
जो मुहँ पर झूठी तारिफ करे लोग उसे ही अपना बनाये।।
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नमक की
तरह कड़वी
बातें
करने वाला
ही...
सच्चा दोस्त
होता
है
मीठी बातें
करने
वाले अक्सर
चापलूसी
होते
हैं
और तारीख
गवाह
है
कि नमक में
कभी
कीड़े नहीं
लगते...
और मीठी
चीजो
में...
कीड़े
लग जाते हैं-
हर घड़ी चश्म-ए-खरीदार में रहने के लिए,
कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिए..!
मैंने देखा है जो मर्दों की तरह रहते थे,
मशकरे बन गए दरबार में रहने के लिए..!!-
जो बोल रहे हैं बोलने दो, ये हमारे रिश्तेदार थोड़ी है ।
ये सब बिके हुए हैं, चौथे स्तंभ वाले पत्रकार थोड़ी है ।-
Zubaan pe taala rakhkar mai !
Ab baat bheed ki bolunga !!
Har baat ko dil me rakh lunga !
Par bhed kabhi na kholunga !!
Phir sabko lagne lagun pyaraa!
Kuchh chikani chupadi phekunga !!
Dum dabaa ke peeche daudunga!
Aur keval bhaun bhaun bolunga !!-
इस 'दिखावे' और 'चापलूसी' के दौर में,
लोग दिल से दी हुई इज्ज़त को नहीं समझ पाते।-