Richa Singh   (Time_to_write)
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Joined 21 September 2019


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31 MAY 2022 AT 23:52

एक किताब सी जिंदगी मेरी ... !

एक खुली किताब सी है ये जिंदगी मेरी ,
जिस पर कहीं खुशी के पल ,
तो कहीं गम लिखा है ,
जिस पन्ने पर फिर भी जैसा लिखा है ,
मैंने हर पन्ने को ,
उतनी ही खुबसूरती से पढ़ा है ,
कभी किसी सुबह कोई साथी मिला ,
तो शाम ढले वो भी बिछड़ है ,
कभी किसी पन्ने पर खाली सी खामोशी कोई ,
तो किसी पर शब्दों में दर्द छिपा है ,
कागज़ बेशक पुराना सा ,
मगर गत्ता आज भी नया सा है ,
अब बस भरी भरी इस किताब में ढूंढ रहा हूँ ,
आखिर ये अंत लिखा कहां हैया ... !!

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18 MAR 2022 AT 0:25

सच है, नहीं ठिठोली है
चेहरों पर रंगोली है
देश देश में गाँव गाँव में
होली है भई होली है

पत्रिकाओं में अखबारों में
गली गली में चौबारों में
हम मस्तों की टोली है
होली है भई होली है
कहीं रंग है कहीं भंग है
बड़ी उमंग में कहीं चंग है
मौसम भी हमजोली है
होली है भई होली है

कहीं राग है कहीं फाग है
चौरस्ते होलिका आग है
ठंडाई भी घोली है
होली है भई होली है
धूप धूप में छाँह छाँह में
हर अंजुरी हर एक बाँह में
गुझिया पूरनपोली है
होली है भई होली है

— % &

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7 MAR 2022 AT 15:19

कभी कभी लगता है
औरत होना एक सजा है
ने पढ़ें तो अनपढ़ जाहिल
पढ़ लें तो पढ़ाई का घमंड है ।
शादी ना करें तो बदचलन नकचढ़ी है
और कर लें तो अब आया
ऊँट पहाड़ के नीचे ।
सब से मिलकर रहे तो चालाक ,
मिलकर ना रहो तो घमंडी ।
पढ़ लिख कर घर में रहो तो
क्यों इतने साल और पैसे खोये ,
कोई नौकरी करो तो ' पर ' निकल आए ।
नौकरी का घमंड है ।
सहकर्मी से बात करें तो चलता पुर्ज़ा
और ना करो तो छोटी सोच वाली ।
बड़ा लंबा चिट्ठा है साहब क्या कहे ?
अच्छा है कि चुप रहे ।— % &

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13 FEB 2022 AT 10:16

कभी अपनी हंसी पर भी आता है गुस्सा ,
कभी सारे जहां को हँसाने को जी चाहता है ।

कभी छुपा लेते हैं ग़मो को दिल के किसी कोने में
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है ।

कभी रोता नही दिल के टूट जाने पर भी ,
कभी बस युही आँसु बहाने को जी चाहता है ।

कभी अच्छा लगता है आजाद उड़ना कहीं ,
कभी किसी की बाहों में सिमट जाने को जी चाहता है।

कभी सोचती हूं कि कुछ नया हो जिंदगी में ,
कभी बस ऐसे ही जिये जाने को जी चाहता है ।— % &

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26 JAN 2022 AT 8:26

देखो 26 जनवरी है आयी, गणतंत्र की सौगात है लायी।
अधिकार दिये हैं इसने अनमोल, जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध।
हर साल 26 जनवरी को होता है वार्षिक आयोजन,
लाला किले पर होता है जब प्रधानमंत्री का भाषन।
नयी उम्मीद और नये पैगाम से, करते है देश का अभिभादन,
अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन,
2 मिनट के मौन धारण से होता शहीदों को शत-शत नमन।

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21 DEC 2021 AT 23:45

क्यूं रोका है इन आंसुओं को
बहने दो ना ...

ये जो कुछ कहना चाहते हैं
इन्हें कहने दो ना .....

क्यूं छिपा के रखा है इन्हें खुद से ही ,
अपने ही तो हैं , इन्हे खुद से मिलने दो ना ..

जो होना ही था
वो हो गया ना ..

बस बहुत हो गई ये घुटन
अब इन आंखों को रो लेने दो ना .।।

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14 DEC 2021 AT 23:02

The one who makes her cry, she is the father, the one who cries herself, is the mother.

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28 NOV 2021 AT 19:54

सर्दी लगी रंग जमाने
दांत लगे किटकिटाने
नई-नई स्वेटरों को
लोग गए बाजार से लाने।

बच्चे लगे कंपकंपाने
ठंडी से खुद को बचाने
ढूंढकर लकड़ी लाए
बैठे सब आग जलाने।

दिन लगा अब जल्दी जाने,
रात लगी अब पैर फैलानेसुबह-शाम को कोहरा छाए
हाथ-पैर सब लगे ठंडाने।

सांसें लगीं धुआं उड़ाने
धूप लगी अब सबको भाने
गर्म-गर्म चाय को पीकर
सभी लगे स्वयं को गरमाने।

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28 NOV 2021 AT 14:50

कभी तानों में कटेगी ,
कभी तारीफों में ,
ये जिंदगी है यारों
पल पल घटेगी !
पाने को कुछ नहीं ,
ले जाने को कुछ नहीं ,
फिर भी क्यों चिंता करते हो
इससे सिर्फ खूबसूरती घटेगी
ये जिंदगी हैं यारों पल - पल घटेगी !
बार बार रफू करता रहता हूँ
जिंदगी की जेब ,
कम्बख्त फिर भी निकल जाते हैं
खुशियों के कुछ लम्हें !
जिंदगी में सारा झगड़ा ही
ख़्वाहिशों का है ...
ना तो किसी को गम चाहिए ,
ना ही किसी को कम चाहिए !

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30 AUG 2021 AT 22:26

क्यू ?

कभी - कभी सोचती हूँ मैं ,
क्यूँ हम कुछ बनना चाहते हैं ,
खुद को साबित करना चाहते हैं ?

क्यूँ हम अंदर से खोखले ,
बाहर से रंगीन है ?
क्यूँ तन की सजावट जरुरी है ,
मन की शांति काफी नहीं ?

क्यूँ चेहरे की मुस्कान काफी नहीं ,
औदे की चमक जरूरी है ?
क्यूँ हमारी मुस्कान हमारा धन नहीं ?
क्यूँ हमारा सुकून हमारी कामयाबी नहीं ?

क्यूँ कोई औदा बड़ा तो कोई छोटा है ?
क्यूँ राजगद्दी पाना जरुरी है ?
क्यूँ पैसों की गिनती जरुरी है ,
शयों की गिनती काफी हों ?

क्यूँ हमारा औदा हमारी पहचान है ,
हमारा नाम काफी नहीं ?
क्यूँ हमारा सिर्फ होना काफी नहीं ,
हमारा कुछ बनना जरुरी है ?
क्यूँ कोई सवाल नहीं पूछता ,
क्यूँ कोई अपना " क्यूँ " नहीं पूछता ?

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