बढ़ती लड़की
जवानी की देहलीज़ पे, अभी कदम नहीं रखा तूने!
तेरे आशिक़ हुए हज़ार, गली में चर्चे हो गए दूने!!
अभी तो तू ठीक से, संभाल भी नहीं पाती है लाज़ का दुपट्टा!
और गिद्ध नज़रें लगी हुईं हैं, कब मारें वो तुझ पे झपट्टा!!
तुझे पता नहीं है शायद तेरी उम्र नहीं, तेरी मुश्किलें बढ़ रहीं हैं.
तू लड़ा नहीं रही है अँखियाँ, सच है, पर कई आँखें लड़ रही हैं।
ले लेगी तेरी ही जान, कभी तेरी खिलती हुई मुस्कान।
तू हँस रही है खिलखिलाकर, सारी बातों से अनजान।।
अभी ये हाल है सबका, फिर आगे क्या होगा ये सोच?
क्या तेरा सोलहवाँ साल, नहीं खाएगा तुझको नोच??
खुदा ने तुझे बनाया, उसकी गलती तनिक नहीं है,
तुझे देख जो भरते आहें, उनके दिल में चोर कहीं है।।
तू है हुस्न की खान, तो इससे किसी को क्या ?
तू भी किसी की लाडली है, कोई सोचता नहीं यहाँ!!
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