नूर-ए-बदन कि चाहत अब आम सी है।
बाजार-ए-इश्क में रूह का क्या काम ही है।-
2 OCT 2019 AT 14:04
कर दूँ इज़हार-ए-मोहब्बत खतों में या सरेआम आ जाऊं,
आओ मिलो कभी फुर्सत में बैठ तुम्हारे संग लखनऊ की शाम हो जाऊँ.-
27 JUN 2021 AT 12:01
मुझे हमेशा,
उससे,
कुछ ज्यादा की,
चाहत रही !
जैसे,
चाय के साथ,
हमेशा,
बिस्किट की,
रहती है !!-
23 APR 2020 AT 11:50
क्या कहूँ अब दर्द-ए-दिल
ज़िया नही जा रहा
उसकी याद में इन ग़म के
अश्कों को पिया नही जा रहा
दुआ कर वो भी मोहब्बत
कर ले हमसे ये ग़ालिब
यूँ उससे एकतरफा इश्क़
किया नही जा रहा
-
27 AUG 2021 AT 19:43
जिसको आप पसंद करते हो
अगर उसकी याद भी आती है तो
चेहरे पर मुस्कान और दिल को सुकून मिलता है-
21 JUL 2018 AT 23:56
ChAHT!!
हाँ !वो "CHAHT" तो
"CHAHT" ही
बनकर रह गयी,
उस "CHAHT" की
"CHAHT" बाकी
"CHAHTO" के आगे
कही गुना छोटी रह गयी !!-
30 AUG 2020 AT 14:26
Chahte to sab hai.........
Pr teri chaht jaisi, unme koi....baat nahi !!-
23 MAR 2022 AT 8:06
तेरी चाहतों में इस कदर खोने लगे हैं।
धीरे धीरे तेरा होने लगे है।।-