हमदर्द में होते हैं,पता उन्हें चल जाता है...
भीगी हुई पलकों को देखकर ह्रदय घंटों पछताता है
वह कोसता है खुद को
कुछ थी कमी मुझ में जरूर...
जो तेरी आंखें भर आई जो तू ऐसे मुरझा गई !
चोट उसे भी लगती है, दर्द उसे भी होता है
हम तक ना पहुंचे उसकी आह !! इसलिए वह मुस्कुराती है
हमको भरपेट खिला कर ,वो खुद भूखी सो जाती है !
अपनी इच्छाओं को दफना कर,हमारे उज्जवल भविष्य का सपना सजोती है
हमारी इक छोटी सी जीत पर, वह घर में जश्न मनाती है
इक उफ अगर हम कर दे तो, दुनिया को उलट कर देती है !
तेरे किरदार की क्या तारीफ करूं मां,
तूने..हर किरदार बखूबी निभाया है,
ये जिंदगी...तुझ से खुशियों की खान है मां
ये खुशियां...मेरे लिए एक छोटा-सा मकान है मां
मैं तो छोटा-सा तारा हूं,तू तो पूरा आसमान है मां !!
ये जिंदगी, इक कर्ज-सी सवार है मुझ पर
"मां" तेरा प्यार,उधार है मुझ पर !!!
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