अपने ही घर से हमारी विदाई हो जाती है.....
कुछ रस्मों के बाद ही बिटिया पराई हो जाती है!!!!!!-
माँ मुझे पता है कि..
मैं कर गयी उम्र के उस पड़ाव को पार
जहाँ सजाए थे तुमने
मेरे और मेरे शहजादे संग सपने हजार
हां माँ आज मैं..
खुद ही खुद के सपनों से गयी हार
माँ सच कहूं तो मैं बोझ नहीं हूँ
माँ मैं तेरे ही खून का कतरा हूँ
हां माँ मुझे पता है..
तुम्हें मिलते हैं समाज से ताने बाने कई बार
और वो सारी नाराजगी तुम उतारती
मुझ पर बारम्बार
पर माँ मैं सच में कोई बोझ नहीं हूँ..
गर गयी मैं इस बार जिंदगी की जंग हार
मुझसे मिलने तुम तरसोगी बार बार
पर मैं तो चली जाऊंगी..
फिर से कभी न लौट आने के लिए माँ
क्योंकि मेरी विदाई ही तो जरूरी थी
💓🙏💓-
चलो दिखाएं तुमको अपना गांव
उसकी बिटिया की है बिदाई
देखो रो रहा सारा गांव
बच्चो की तरह जिद ना कर
सबकी होती है बिदाई
कौन रोता है तू शर्म कर
बाप है बिटिया पर रहम कर
तुझे रोते देख टूट जाएगी
वो कैसे ससुराल जाएगी
बिटिया अपनी नहीं पराई है
फिर भी सबकी आंखे भर आई है
हाथ जोड़कर कर कहता बाप बेचारा
ससुर नहीं पिता हो जिगर का टुकड़ा है हमारा
रखना बस इतना लाज हमारा
आंखों में पानी ना आए इसके दुबारा
आंखों में पानी ना आए इसके दुबरा
।। अनिल प्रयागराज वाला ।।
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बेटियां दिये
की तरह
होती है
जो इन्हें
ले जाता है
उनका घर
जगमगा जाता है
🙏🏻👏🙏🏻-
चिड़िया
तुम हमरे अंगना कि,
नन्ही चिड़िया हो बिटिया।
आज नहीं तो कल,
उड़ जइहो रे बिटिया।
पूरी कविता caption में है। 👇-
जब बेटियों को विदाई किया करो तो
उन्हें बताया करो की हमने इंसान का बच्चा देखकर रिश्ता तय किया है अगर जानवर निकल जाये तो
वापसी का दरवाजा खुला है...
उसको छोड़ कर वापस आ जाना क्योंकि शादी दोबारा हो सकती है लेकिन जिंदगी एक बार ही मिलती है उसे खुदगर्जी और लालची इंसानों के लिए मत गंवाना...-
लो! आज फिर जन्मी है
एक बिटिया
फिर दोहराई जाएगी
वही पुरानी कहानी
जहाँ मानसिकता वही होगी
बस अंदाज़ नया होगा
(Read in caption 👇👇👇)-
घर में बेटी पैदा हो,
तो गली में दीये रोशन करना
कुछ मत करना,
बस आदमियत का किरदार रोशन करना-
खुश होना क्या होता है ?
वो गाल का कान को छूना,
दाँतो का बेवजह दिखना,
दोनों रुख़सारों में गड्ढे पड़ना,
आंखें नम होना,
और दिल में कुछ अजीब सा
महसूस होना या....
बिटिया का जन्म होना ।।-