हमारा इश्क़ भी मुश्किल नहीं था
बेवफ़ा था वो उसका दिल नहीं था।
कहाँ जाते और किसे अवाज़ देते
जहाँ देखा मिला बिस्मिल नहीं था।
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Zindagi iss makaam par le ayi hai ki..
Dil ko tadhapne par hi sukoon hasil hai..
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नफरतों के दौर में मोहब्बत सिखा रहे हैं हम।
अपनी नस्लों को कैसे मंज़र दिखा रहे हैं हम।
भगत ,बिस्मिल ,अशफाक की राह पर चलो
अब इश्क नहीं इंकलाब लिखा रहे हैं हम।,-
Gar bismil hona hi taqdeer hai meri
To ishq kar mujhse, barbaad kar mujhe.-
नये साल का आग़ाज़, मिलने का सबब नहीं ऐ दिल,
उसके शहर से आई हवा, कर गई रूह को बिस्मिल।-
खुशबू फैलाने का बहुत शौक हैं मगर ...!!
मुमकिन नहीं हवाओं से रिश्ता किए बगैर...!!-
तुरपाई तो कर लें हम अपने दिल की जमाने के सान्तवना के तारों से,
पर वो धागा कहाँ से लायेंगे जिस पर खुदा ने धड़कन थिरकाई थी कभी हमारी।।-
खिला है नूर, जवानी है चढ़ी जोर-शोर पर
कहो कहीं बिस्मिल हुए हो, या कामिल हुए हो-
Kehne ko toh
yeh bechara dil hai..
Nasamajh main nahi,
yehi bismil hai..
Karna chaahta jise
yeh haasil hai...
Jo mere khwaabon
ka hi qaatil hai...
Kya kabhi guzra hua
waqt mustakbil hai??
Paani mein aag lagne
jaisa mushkil hai...-