अपना बना कर फिर बेगाना बना दिया
भर गया दिल तो बहाना बना दिया-
हमारे नादां दिल पर खंजर चला कर ,
चल दिए वह तो हमको बेगाना बना कर ।
तन्हा हो गए हम हमारी हसरतें भी मर गई ,
उनके जाने के बाद हमारी ख्वाहिशें भी मर गई।-
कुछ तो बात थी मेरी नज़्मों में और तेरी कहानियों में,
कभी तू मेरी नज़्म का भाव होता था, तो कभी मैं तेरी कहानी की कलाकार।
कभी उस नज़्म में होता था अपनी बातों का सार, तो कभी तेरी कहानियों में अपने झगड़े हज़ार।
पर कुछ भी था, कुछ बात तो थी तेरी कहानियों में और मेरी उन अब अधूरी नज़्मों में।
कुछ कशिश कहे या कुछ अपनापन, कुछ मन का बेमानापन,
कुछ उन अनकही बातों का बेगनापन,
कुछ तो था, तेरी मेरी उन नज़्मों में और कहानियों में!-
बत-कहियां जितनी भी मीठी बहती हों
रिश्ते की सिलवटों की निशानी रहती हैं।-
छोङ दी जमाने की यारी अब हमने...
अब लोगो को कांधे पर बोझ तो नही लगेगा...-
ख़ामोशी में चाहे जितना बेगानापन हो ,
लेकिन एक आहट जानी-पहचानी होती है..!-