मैं समाहित ही स्वयं में,फिर स्वयं से अपरिचित क्यों हूं
अपनी वास्तविकता से अनभिज्ञ क्यों हूं।-
एक अजब मोड़ पर आ गए
खुद से बहुत दूर, ना जाने कहां आ गए,
मुड़ कर देखा जब पीछे,
घने अंधेरे छा गए,
अपने पहचान ढूंढने को
हम खुद से बहुत दूर आ गए
शायद,
एक अजब सी तिलमिलाहट में
खुद को गवां कर आ गए।।
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जी चुरा कर अपने आप से, मैं तेरे साथ चल दिया हुं
सारे रंगो से छुड़ा के दामन
मैं तेरे रंग में रंग गया हूं
मुबहम सी चाहत थी,तू साथ हो मेरे
ना जाने क्यों आंखे मूंद में तेरे पीछे चल दिया हूं,
शोहबत में तेरे ना जाने क्या मिलता है
अपने समय से जी चुरा कर , मैं तेरे साथ ठहर गया हू।।,
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Teri raat ka har ek pal chahiye mujhe
Apne hathon me tera hath chahiye mujhe
Ab dooriyan me katati nahi raaten
tu bus najdeek chahiye mujhe.-
मैं खुद से ही खुद की नाराजगी लिए बैठी हूं
पूरी कहानी में , मैं आवाज आधी लिए बैठी हूं
औरों से कोई शिकायतें नहीं है मेरी
मैं मेरी ही कहानी में गुनहगार बनी बैठी हूं।।
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देखती हूं जब भी मैं आईने में खुद को
मैं खुद को अपने आप से बहुत दूर पाती हूं
ना जाने क्यों अपने सवालों के जवाब पर
में अक्सर ख़ामोश हो जाती हूं,
अब तक अनजान हूं मैं अस्तित्व से अपने
ना जाने अपने आप से मैं क्या चाहती हूं
रहना चाहती हूं खुद के नजदीक ही,
या खुद से ही दूर हो जाना चाहती हूं??
विचारों के उठते बवंडर में, में अक्सर उलझ जाती हूं
जितना करीब होती हूं खुद के
मैं खुद से उतना ही दूर हो जाती हूं।।
क्यों ,आखिर क्यों?
मैं अपने ही सवालों में उलझ जाती हुं।।-
हम बेपरबाहियों की हद पर खड़े है
जिस्म से रूह तक तुझमें उलझे पड़े है
और ये कैसी नादानियां है , तुम्हारी
तुम कहते हो ,देखकर भी तुम्हे अपने होश में रहे
तुम रंगो की सात दिवारी में ,बेपर्दा खड़े हो।।-
करू सजदा या मन्नत कोई मांग कोई मांग आऊं
तेरी चौखट पर, मैं अपना सब कुछ बार आऊं
ये मौसम , बहारें, हवाएं ,घटाएं
सब के सब कायल है तुम्हारे
कहां से ढूंढू मैं ऐसा दर कोई
तुझे पाने की दुआ में, जहां माथा अपना टेक आऊं।।
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वो बातें जो मैं तुमसे कह रही हुं,
क्या उन्हे खुद , मैं भी समझ रही हूं
समझ रही हूं जिंदगी का मतलब
या यूंही शब्द जाया कर रही हूं,
मेरे चेहरे से नजर आएंगी लापरवाहियां कई
मैं अपनी कविताओं में दिल का हाल लिख रही हूं
तुम पढ़ कर इन शब्दों का जाया मत होने देना
मैं इनमें अपनी संवेदनाएं लिख रही हूं।।
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लोग पढ़ते है , शब्दों को मेरे
मैं शब्दों में संवेदनाएं लिखती हूं।।-