QUOTES ON #BASYUNHI

#basyunhi quotes

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मेरे सब्र की घड़ी में इन्तेहान बहुत हुआ,
तेरे नाम से ये दिल परेशान बहुत हुआ।
तकदीर को दोष दूँ या अपनी जिम्मेवारियों का बोझ लूं,
ये मेरी लापरवाही है जो,आसान सफ़र में भी
जद्दोजहद बहुत हुआ।

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13 NOV 2018 AT 7:33

तुम्हारी यादें,, बा-वफ़ा ब्लैकमेल करतीं हैं
कम्बख़्त,, बेवज़ह जानो दिल टटोलतीं हैं

तुम्हारी हैं.. तुम शौक से रक्खो ख़्याल
अपनी तो,, न इनसे बनती न बिगड़ती है

अलविदा कहे तुन्हें,, अरसा हुआ जाना,,
रेल की पटरी माफ़ीक़ ज़ाने क्यूँ साथ चलती हैं....

मेरी आज़ादी पे आज भी,, "प्रेमांकुश" लगातीं हैं
तुम्हारी यादें सच्ची,, बावफ़ा ब्लैकमेल करती हैं....

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क्या कहें वो जो साथ निभा ना सके
कभी हमारे पास लौट कर आ ना सके

सभी को हैरान करती रही बस एक बात
कि वो हमपर इम्तेहान का ज़ुल्म ढा ना सके

हमसे मोहब्बत ना सही, वहशत ही सही
उस वहशत को भी तो समझा ना सके

लबों के बयान में आंखों ने कुछ और ही कहा
कुछ नहीं कहा बस हमें वो भुला ना सके

खैर वो खुश हैं अगर हमसे दूर "निहार"
ये दुआ है हम उनके ख्यालों में भी आ ना सके..!!

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आवाज़ों के जंगल में खोयी इक आवाज़ ढूंढ़ता हूं
बीत रहे हर पल में इक नया आगाज़ ढूंढ़ता हूं

खो सा गया है कहीं मुझसे ही मेरा इक अक्स
आइने में देख, वही पुराना अंदाज़ ढूंढ़ता हूं

सुना था वक़्त रहता नहीं कभी एक सा हमेशा
बुरे वक़्त के बाद अच्छे वक़्त का रिवाज़ ढूंढ़ता हूं

ज़िन्दगी यूं तो बसर हो ही जाएगी खामोशी से मगर
कह सकूं जिससे दिल की हर बात, वो हमराज़ ढूंढ़ता हूं

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20 NOV 2019 AT 23:30

दोस्ती वो जो आपके जज़्बात को समझे

हमसफ़र वो जो आपके एहसास को समझे

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दिल का हर जख्म खुद ही सिल लेता हूं मैं
ये ज़ख्मों की आबरू मुझे हमनवां समझती है

निकल पड़ा हूं, सितारों को बना मंज़िल अपनी
वो मुझ अकेले को ही पूरा कारवां समझती है

यूं तो ताने ज़माने के सुन लेती है चुपचाप मगर
मेरे समझाने पर भी मुझे बद-गुमां समझती है

बोलता हूं तो वो मुझसे लड़ भी लेती है "निहार"
जो चुप रहूं तो मुझे बे-जुबां समझती है..!!

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19 MAR 2022 AT 23:11

तंज तगाफुल रंज तौहीन
सहने को सब सह लेंगे हम।

भंवर लपेटे फिरते हैं पैरों में
उसको क्यों संग ले लेंगे हम।

जो उसने एक बार अब पूछा
कहने को सब कह देंगे हम।

उसको अपना दिल खोल दिखाके
फिर खुद से शर्मिन्दा हो लेंगे हम।

उसको ज़माने के मअसले ही बहुत
क्यों अपनी उलझनों में लपेटेंगे हम।— % &चारागरी हमनवाई मसीहाई ऐ हमराज़
पहले तेरी अना को सर कर लेंगें हम।

हाथ छुड़ा जब वो दूर जा चुका होगा
नाम उसका कभी तबियत से पुकारेंगे हम।

होने को हासिल क्या न था जहां में
अब अपने सब्र की इंतेहा देखेंगे हम।

अब्र ए चश्म को पर्दानशीं करके
दश्त औ सहरा फिरते रहेगें हम।

हर्फ ए इश्क लिखने में कलम कांपे मगर
खुद को हर बार इसी अजीयत में डालेंगे हम।

गफलतों का दौर कितना ही तवील हो
लम्हा वो यादगार जब दुआ ए अजल मांगेंगे हम।— % &

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10 OCT 2019 AT 11:45

कभी कभी सोचती हूँ जो दिल में है वो सारे राज़ खोल दूँ
तो फिर दूसरे ही पल तुझे खोने के डर से यह लगता है कि
बस तुझे यूँ ही सपना बनाकर अपनी पलकों तले समेट लूँ
तो फिर कभी टूट न जाए यह हसीन ख्वाब़ मेरा तो लगता है कि
उन ख्वाब़ो को आँखों में भरे मैं उम्र भर के लिए एक लंबी नींद सो लूँ

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27 MAY 2021 AT 14:39

ना जाने कहाँ?
दिल लगा है..
कि दिल अब कहीं
लगता नहीं..

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20 APR 2021 AT 17:11

एक पल में हमदर्द,
एक पल में बेवफा ,
कैसा है ये तेरा प्यार ।।

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