कुछ खट्टी, कुछ मीठी सी बातें
वो बचपन की लहराती यादें
दोस्तों के साथ बीते
हर पल याद आते
नुक्कड़ के झगड़े
अब चेहरे पर मुस्कान लाते
नटखट बचपन के ख़्वाब भी
अब नटखट नज़र आते
बचपन के वो शरारती लम्हें
आज बचपन की बहुत याद दिलाते।-
अपनी कहानी का मरकज़ क़िरदार थी मैं
फिर मुझसे वो बचपन की कहानी कहीं खो गयी-
बचपन में दुसरो की कहानी
सुन कर सोते थे ....
आज खुद की कहानी सोच
कर जागते हैं ...🤔-
बचपन का दौर चला गया और बहुत सी यादें चली गयी
जिम्मेदारियों का बोझ आया और बेफिकरी की चादर चली गयी
वो पेड़ जिसके नीचे चारपाई पर कहानियाँ सुनाते थे नाना मेरे
उसकी पत्तियाँ तो उडती फिरती हैं चारो तरफ....
पर तूफानो मे थामे रखने वाली अनुभव की वो शाखेँ चली गयी-
Ho sake toh mera pyara bachpan louta do,
Mujhhko mere taaron ke sapne lauta do
Ho sake toh mera pyara bachpan louta do
Woh gudiyon ki shaadi, woh gudde khilana,
Yaad hai tumko woh bachpan purana,
Woh navratri ki puja, wo mele me jaana,
Woh giant wheel pe jhul k aana,
Daant tutne me bhi kuch toh alg tha,
Zameen khodne me bhi bahut maza tha,
Bina sar-per k woh baaton ka khajana,
Yaad hai tumko woh gujra zamaana,
Mujhhko mere taaron ke sapne lauta do
Ho sake toh mera pyara bachpan louta do,
Exams ka darr, woh result wala din,
Marks ka kamm aana or fir mummy ka chillana ,
Mummy ki daant se woh papa ka hume bachana,
Yaad woh kahaniyaan jab bhi aati hai,
Na chahte huye bhi meri aankhein bhar aati hai,
Humaari woh bachpan ki naadaani,
Yaad aati hai har chhoti-chhoti kahani,
Woh shararatein mile toh mera pata do,
Mujhko mere taaron ke sapne louta do,
Ho sake toh mera pyara bachpan louta do.
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बचपन भी क्या कमाल का था
ना कोई जरूरत थी
ना कोई जरूरी था
मानो सब कुछ ज़िंदगी में पूरा सा था
मां कहती थी यही बचपन तुम्हे बाद में याद आएगा
जब जरूरत होगी तुम्हे सबकी,तू खुद को अकेला पाएगा
ज़िन्दगी का सबक, तुम तब ही सीख जाओगे
जब ये बचपन तुम्हारी आखों में आंसू बन बह जाएगा
बचपन भी क्या कमाल का था तुम बार बार दोहोराओगे
जब ख्वाहिशों से ऊपर, जरूरत जरूरी हो जाएगी
जब दूसरो की खुशी, खुद से बड़ी हो जाएगी
तब ज़िन्दगी तुम्हे जीने का असली मतलब सिखाएगी
इस भीड़ भरी दुनिया में जब खुद को अकेला पाओगे
मां वो बचपन भी क्या कमाल का था
तुम यही कहते रह जाओगे
वो मां की लोरी , वो स्कूल के भारी बस्ते,
वो खट्टी मीठी बाते , वो खट्टी मीठी यादें,
अचानक सब धुंधला सा पड़ जाएगा
बहुत सी जरूरतें होंगी
बहुत कुछ जरूरी होगा
लेकिन तब मानो सब ज़िंदगी में अधूरा सा होगा
वो बचपन तुम्हे याद आएगा, वो बचपन तुम्हे बुलाएगा
वो बचपन भी क्या कमाल का था
तू यही कहता रह जाएगा ।।
Ashmita
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शीर्षक-बचपन ना जाने कहाँ खो गया है
वो बचपन की शरारते वो नादानियां
बचपन के वो खेल
बनाकर चलना एक रेल
वो पड़ोसी की दीवार फांदना
वो बागों के आम तोड़ना
वो इमली की चटकारिया
वो गिटियो के खेल
वो बारिश की नाव
वो पेड़ो की छाव
वो तितली पकड़ना
वो पंछियो का चहकना
अब ये सब छूट गया है
बचपन न जाने कहाँ खो गया है
अब तो बच्चे मिलते है चारदीवारी में
लेकर कंप्यूटर और मोबाइल हाथों में
आजकल बच्चो का बचपन सिमट गया है
वो हमारा बचपन न जाने कहा खो गया है।।।-
Bachpan se jo karti thi har Aazmaish mkaan ko Jannat bnane ki akhir mein vhi Begani kehlati hai
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अब मुस्कान में वो बात नहीं।
अब जिंदगी में वो स्वाद नहीं।
अब रोने पर मानने वालो की आश नहीं।
अब कोई भी त्यौहार खाश नहीं।
अब नए कपड़ों का वो मिजाज नहीं।।
अब नींद की वो ओकात नहीं।
ये है बचपन के दिन।।
कोई ख्वाब नहीं।।-
Ma ki nili saaree or meri nili frock m basi kuch kahani si hai
K meri kuch yaadein hain unme jo Suhani si hai
Lagta h kal hi ki hai baat jisme aai thori sunami si hai
Un yaadon m beetein har lamhe m chhai rumani si hai
Wo bachpan ka kissa jo thori suni sunai si h
Or kuch yun hi fir se yaad aai si h
Wo jo nili frock tumne dilai thi
Har din use hi pehne ki zidd v maine jatai thi
Or wo jab tumne kaha k silai kamjor ho chali h isse mt pehno
Phir maine uski har silai pe pakar b dubara tumse hi banwai thi
Kuch badla sa h maa aaj ye man kamzor sa ho chala h k fir se silai kar do na
K khin bikhar na jau usse pehle samet kar zor lo na
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