माँ....
कड़ी धूप में जब जिंदगी से घबराती हूं,
सुकून की नींद बस आपके गोद में ही सो पाती हूं..
जब सब टूट जाते हैं, आप नहीं डगमगाति हो,
माँ इतना विश्वास ना जाने कहां से लाती हो...
हम बीमार हो तो आप अपनी तबियत भी भूल जाती हो,
हो अगर परेशान हम तो आप भी कहां सो पाती हो,
आपसे ही तो जिंदगी की सुरुवात है,
आपसे ही जीने का एहसास है,
हमारे बिन बोले हर बात समझ जाति हो,
रूठ जाये जो हम कभी प्यार तो प्यार जरूरत पड़े तो डंडे से
भी मानती हो,
एक राज मुझे बिलकुल समझ नहीं है आती,
बिन बताए आप सब कुछ कैसे हो जान जाति,
कितना भी लिखूँ लफ्ज कम पड़ ही जाते हैं,
वो बचपन के दिन आज भी बहुत याद आते हैं,
जब सब टूट जाते हैं, आप नहीं डगमगाति हो,
माँ इतना विश्वास ना जाने कहां से लाती हो...
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