देख रहा हूं तरो को
क्यू आंखो में नमी है
ये दिल का दर्द है या
आज आसमान में
तरो की कमी है
क्यू अंधेरा घोर है
क्यू दिल में उसका ही सोर है
क्या मेरे लिए कोई आज रात नहीं
क्या आज रोज जेसी कोई बात नहीं
कुछ तो हुआ है आज
यूं बेचैन पहले तो ना था-
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चलो किसी ने तो हमे यार कहा।
चलो किसी ने तो हमे बिजली की तार कहा।
चलो किसी ने तो हमे शायरी का सार कहा।
चलो किसी ने तो हमे किसी का प्यार कहा।-
वक्त लम्हा लम्हा कर सांसे नोचता रहा।।
जिंदगी गुजर गई में कल की सोचता रहा।।-
हम फसे भवर में, अब तुम फंस रहे हो।
कल हम हसेंगे,आज तुम हंस रहे हो।-
कदर कर, जता मत,
फ़िक्र कर,बता मत,
तू चाहता है कि दोस्ती बनी रहे,
तो मोहॉबत कर, लेकिन बता मत।।-
इतिहास में कहा दर्ज होते हैं।।
वो युद्ध ।।
जो में के भीतर चलते हैं।।-
वह चाय रखी हैं टेबल पर।
इतवार पुराना ले आओ।।
हम कह देंगे छूट्टी है।
तुम यार पुराने ले आओ।।-
हम बहुत सोचते है।।
कुछ गलत ना हो जाए।।
इस डर से।।
मंजिल बहुत दूर है।।
कहीं पहुंच ना पाए।
इस डर से।।
हम बहुत डर जाते है।।
अपने अंदर छिपा आत्मबल के डर से।।
छोड़ो ये डर।।
क्युकी डर के आगे ही तो जीत है।।
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तुम जो मेरे हुए।।
हुआ एक नया सफर शुरू।।
मिली जिंदा रहने की एक आश।।
मिली हसने की वजह।।
मिली संवरने की वजह।।
जैसे मिले भारी तपन के बाद।।
एक सुसुरहट वाली शीतलता।।
तुम जो मेरे हुए।।
तो हम पूरे हुए।-
तुम्हारी खामोशी से मुझे।।
एक अलग सी तड़प होती।।
जैसे पानी बिन मछली।।
तारो बिन आसमान।।
सुनसान सड़क पर अकेला सफर।।
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