Manish Singh   (अल्फ़ाज़)
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Joined 10 February 2021


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Joined 10 February 2021
27 JUL 2021 AT 21:02

देख रहा हूं तरो को
क्यू आंखो में नमी है
ये दिल का दर्द है या
आज आसमान में
तरो की कमी है
क्यू अंधेरा घोर है
क्यू दिल में उसका ही सोर है
क्या मेरे लिए कोई आज रात नहीं
क्या आज रोज जेसी कोई बात नहीं
कुछ तो हुआ है आज
यूं बेचैन पहले तो ना था

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27 JUL 2021 AT 20:54

चलो किसी ने तो हमे यार कहा।
चलो किसी ने तो हमे बिजली की तार कहा।
चलो किसी ने तो हमे शायरी का सार कहा।
चलो किसी ने तो हमे किसी का प्यार कहा।

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26 JUL 2021 AT 15:00

वक्त लम्हा लम्हा कर सांसे नोचता रहा।।
जिंदगी गुजर गई में कल की सोचता रहा।।

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25 JUL 2021 AT 17:16

हम फसे भवर में, अब तुम फंस रहे हो।
कल हम हसेंगे,आज तुम हंस रहे हो।

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25 JUL 2021 AT 17:13

कदर कर, जता मत,
फ़िक्र कर,बता मत,
तू चाहता है कि दोस्ती बनी रहे,
तो मोहॉबत कर, लेकिन बता मत।।

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25 JUL 2021 AT 16:48

इतिहास में कहा दर्ज होते हैं।।
वो युद्ध ।।
जो में के भीतर चलते हैं।।

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23 JUL 2021 AT 20:27

वह चाय रखी हैं टेबल पर।
इतवार पुराना ले आओ।।
हम कह देंगे छूट्टी है।
तुम यार पुराने ले आओ।।

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23 JUL 2021 AT 16:51

हम बहुत सोचते है।।
कुछ गलत ना हो जाए।।
इस डर से।।
मंजिल बहुत दूर है।।
कहीं पहुंच ना पाए।
इस डर से।।
हम बहुत डर जाते है।।
अपने अंदर छिपा आत्मबल के डर से।।
छोड़ो ये डर।।
क्युकी डर के आगे ही तो जीत है।।

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22 JUL 2021 AT 21:39

तुम जो मेरे हुए।।
हुआ एक नया सफर शुरू।।
मिली जिंदा रहने की एक आश।।
मिली हसने की वजह।।
मिली संवरने की वजह।।
जैसे मिले भारी तपन के बाद।।
एक सुसुरहट वाली शीतलता।।
तुम जो मेरे हुए।।
तो हम पूरे हुए।

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22 JUL 2021 AT 19:55

तुम्हारी खामोशी से मुझे।।
एक अलग सी तड़प होती।।
जैसे पानी बिन मछली।।
तारो बिन आसमान।।
सुनसान सड़क पर अकेला सफर।।

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