मंजिल मुश्किल सही पर हताश हो, क्यों हौसलें डगमगा रहे हो,
गर खुद की क्षमता नहीं हासिल करने तो, क्यूं लक्ष्य असंभव बता रहे हो;
शायद तितलियों को डर लगता होगा, खुलकर पंख फैलाने से,
तुम नादान बाजों को क्या, आसमान की ऊंचाई बता रहे हो ।
🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag-
तारीफ़ें क्या करें उनकी जो ऐसा हुनर रखते हैं
चाल है चीते की और बाज़ की नज़र रखते हैं
ठिकानों का क्या उनके कब कहाँ मिल जायें
शामें लखनवी उनकी दिल्ली की सहर रखते हैं
कहर टूटे उनका तो बस क़यामत करीब समझो
आँखों में गुरूर है भरा और जेब में तेवर रखते हैं
जाने क्यों भटका किये उन्हें ढूंढ़ने की खातिर
कूचा-ए-दिल में ही तो वो अपना घर रखते हैं
छुपाना नहीं उनसे और बताना भी जरूरी नहीं
मशगूल खुद में होकर भी सबकी खबर रखते हैं
रखना सहेज के कई परतों में छुपाकर उनको
उड़ ना जाये कहीं वो परिंदों से पर रखते हैं
इस महफ़िल में भी दीवाने कई हैं उनके हुनर के
'मौन' कर दे उनके अलफ़ाज़ इतना असर रखते हैं-
धूप छाव जैसी लगती है
ज़िन्दगी ऐसी कैसी दिखती है
उम्र के साथ ये एहसास है
पल भर में सूरत बदलती है ।-
Joothi Shaan ke parindo
Jyada Pankh mat phad phaddao..
Hum to khandani baaz haii
Hamari udan maii aawaj nahi hogi...
Sambhal jao....😏
-
आँखों में उनकी भी , सजे कुछ ख्वाब रहते थे ,
जो कोई कह नहीं सकता , वो उनके शब्द कहते थे ,
इतना जानते नहीं थे हम ,
पंख खोल के जो उड़ गया ,
हमने सुना है सब उन्हें ,
वो "बाज़" कहते थे ...
-
सब पता है हमें, किसके कितने
राज हैं...
अगर तूम आस्तिन के सांप हो, तो
बेटा हम भी बाज हैं...
-
Socha n tha...
Koi ajnabi yuu safar mein takra kr khud ko humara humsafar btaega,
Sajish k khndrr ko jannat ki mehfil sa sjayega,
Socha n tha...
Hume chaand sa bta daag khud k chipaega,
Titli sa bna hme khud baaz k pankh liye udd jaega-
हर बोली में कोयल की आवाज़ है
हर आदमी कौए से ज्यादा बाज़ है
उसकी नज़र पैनी और दिल चालाक है
हर बात में बेरूख़ी का आग़ाज़ है
दिल में फ़रेब और हाथों में ग़ुलाब है
फिर भी कहते हैं क्या हाल हैं आपके
'आदाब है'-