Kumar Anurag   (Kumar Anurag)
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Joined 16 August 2020


Joined 16 August 2020
2 OCT 2021 AT 20:22


परशुराम शिष्य वो, भास्कर का अंश था, ब्राह्मण सा धर्म जिसका, क्षत्रियों सा कर्म था,
ऊंच, नीच, छल, पीड़ा के जंजीरों में जकड़ा, राजकुमारों के समक्ष, सुत रूप में स्वर्ण था;
माफ़ करना कृष्णा मुझे पर, कुरुक्षेत्र के उस रणभूमि में कोई तुमसे भी श्रेष्ठ वर्ण था,
धर्म-अधर्म कुचक्र के संयोग में, जो सिर्फ मित्रता पे मर मिटा, वो एक अकेला कर्ण था।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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8 JUL 2021 AT 20:04

!!! महादेव !!!

मुकुट त्याग चन्द्र धारित, स्वर्ण नहीं रुद्राक्ष जड़े,
चंदन समान भस्म लगाए, माला समक्ष वासुकी प्रिय;
स्वर में ॐ सृजित, डमरू ध्वनि में संगीत सजे,
नयनों में संसार ज्योति, जटाओं में गंगा बसे ।

पाप-पुण्य के पर्याय, शून्य से भी सूक्ष्म,
धर्म-कर्म के प्रतीक, शाश्वत से भी सम्पूर्ण।

महर्षि दुर्वासा के श्राप से जब, त्रिलोक का वैभव मिटे,
कूर्म स्थिर, मंदरांचल पर्वत तले, समुद्र मंथन की नींव पड़े,
बली को उच्चै:श्रवा, इन्द्र को ऐरावत,देव ग्रहण अमृत करे,
सृष्टि संहारक ,सृष्टि रक्षा हेतु, कालकूट हलाहाल सेवन करे।

कण-कण में व्याप्त, तन-मन में वासित, न जाने कितने रूप हैं,
आदि से प्राचीन, अंत से नवीन, महादेव अनंत स्वरूप हैं।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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25 SEP 2020 AT 20:39

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

आज़ादी की पवित्र हवा में जब,
वामपंथी विचारधारा का सम्राज्य बढ़ा;
भारतीय संस्कृति की रक्षा करने तब,
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का आगाज हुआ।

बूंद-बूंद रक्त से अर्जित कण-कण मिट्टी के लिए,
सैकड़ों प्राण हमने कुर्बान किया,
हमे गुंडे कहने वालो ज़रा देखो,
ए.बी.वी.पी.ने ही सबसे ज्यादा रक्तदान किया।

संघर्ष,सत्य को दबाने वाली ,
अन्याय शासन कैसे रुकती हैं
जे.पी.आंदोलन में जग को दिखाया ,
छात्रशक्ति के सामने सत्ता कैसे झुकती हैं।

जब राष्ट्रविरोधी नारे लगते हैं,
क्रोध की ज्यालामुखी फटती है,
नफ़रत फैलाने वालों की तन मन कांप उठती हैं;
जब ए.बी.वी.पी. की भगवा तूफ़ान गुजरती हैं।

अभिव्यक्ति की आजादी का ज्ञान हमे,
अदृश्य असिष्णुता का भी संज्ञान हमे,
सत्ता के खिलाफ कहो हमे आपत्ति नहीं किन्तु,
राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वालों की खैर नहीं,यहीं हमारा पैगाम तुम्हे।

क्या साक्षर होकर भी इतना तुम्हे ज्ञान नहीं,
इतनी भी सस्ती मासूम छात्रों कि जान नहीं,
क्यों दो पैसों में बिक छात्र दंगे फैलाते हो,
वक़्त के साथ सब मिट जाता हैं ,
बस मिटती देश के गद्दारों का नाम नहीं।

महिलाओं को सम्मान मिले,छात्रों को भविष्य में,
रोजगार का कुछ आत्मनिर्भर काम मिले,
हिन्दू,मुस्लिम,सिख, ईसाई सभी को ए.बी.वी.पी का प्रेम संदेश यहीं,
अखंड भारत की एकता यूं ही सदा बनी रहे ।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag



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15 SEP 2020 AT 19:55

इंसानियत से बढ़कर जहां में, कोई रूबाब नहीं होती,
किसी भी मजहब में कभी, नफरत की फ़रियाद नहीं होती;
मासूमों का कत्ल़ कर, जन्नत की तलाश करने वालो ज़रा सुनो,
वतन पे कुर्बान होने से बढ़कर कोई जिहाद नहीं होती।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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29 AUG 2020 AT 20:14

यू ही नहीं यारों पे, हम जान वारां करते हैं,
सारा वक्त अपना ,उनके साथ गुज़ारा करते हैं,
क़यामत आने पर भी,जो साथ छोड़ने को राज़ी न हुए,
ऐसे जज़्बातियो के साथ हम, तूफ़ान का पलके झुकाया करते हैैं।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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1 JAN 2022 AT 23:48


इश्क ने इश्क में इश्क से, इश्क का इज़हार कर दिया,
वफ़ा ने वफ़ा में वफा को, वफा से वफादार कर दिया;
कोई किसी को किसी के, किस्मत से कबतक छुपाए,
निगाहों ने निगाहों में जाहिर,निगाहों का प्यार कर दिया।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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1 JAN 2022 AT 22:53


कि मरना हैं तो आज मरे, क्या ये रोज़ रोज़ का मरना हैं,
जीत ही आखिरी लक्ष्य गर तो फिर, हार से क्या डरना हैं;
जो लड़ने से ही डरते हैं, उनसे उम्मीद कहां की जाती हैं,
पता नही कब सांसे थम जाए, जीते जी कुछ तो करना हैं।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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1 JAN 2022 AT 18:45


नई-नई आज सुबह उगी हैं, फिर नई-नई ये शुरुआत हुई,
नए-नए खिले मौसम में देखो, फिर नई-नई ये बात हुई;
जो बीत गया सो बीत गया, अब बीते लम्हों में क्या जीना हैं,
नए-नए सफर में फिर, नई-नई खुशियों से मुलाकात हुई।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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28 DEC 2021 AT 20:35


ज़हन के किसी कोने में दफ़न, एक दर्द से आज भी बेहद डरता हूं,
आंसू के सारे बूंदों को घूंट में पीकर, हर रोज हल्का-हल्का मरता हूं;
मां‌ की याद में कुछ लफ्ज़ लिखूं तो, बेशक आज भी हाथ कांपते हैं,
जिस्म से रूह को अलग करने की खातिर,आज भी खुद से लड़ता हूं।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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27 DEC 2021 AT 20:04


गुज़र रहें लम्हों की कीमत, इन गुजर चुके सदियों से पूछो,
बारिश के बूंदों की कीमत, अब सुख चुके नदियों से पूछो;
अहमियत हर चीज़ की होती हैं, बस वक्त-वक्त की बात हैं,
यादों के धुएं की कीमत, राख में मिल चुके हस्तियों से पूछो।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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