@आज़ाद परिंदे की उड़ान..
(अनुशीर्षक में...)-
ऐसे तो 'मैं' आजाद परिंदा हूँ....
लेकिन
बस 'तुम' चाहो तो ..उम्र भर के लिए
कैद करलो मुझे...!!😍
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आके हमारी लफ़्ज़ों की ईमारत में
सजावट करदो ,
थोड़ी सी कमी रह गयी है ,
पूरी करदो-
वह सिर्फ नेता नहीं आज़ादी का तराना था।
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सन 97 में जन्मा,
वह सिर्फ नेता नही आज़ादी का तराना था।
वह कोई दशक नहीं,
एक पूरा ज़माना था
जब था भारत गुलाम अंग्रेजों का,
तब उसने भारत आज़ाद करना ठाना था।
वह सिर्फ नेता नहीं आज़ादी का तराना था।
अत्याचार के सामने सर झुकना उसने कभी ना माना था,
स्वतंत्रता का स्वाद चखना उसी ने तो जान था।
और अंग्रेजों के आदर्शों को उसने कभी ना माना था,
वह सिर्फ नेता नहीं आज़ादी का तराना था।
आज़ाद हिंद का वो सिपाही था,
स्वतंत्रता का वो अनुयायी था,
अंग्रेज़ो के लिए तो वो भयानक खाई था,
और हर आज़ाद परिंदे के लिए वो द्वारका माई था,
वह सिर्फ नेता नहीं आज़ादी का तराना था।
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रात के अंधेरे में अकेले सिसकता है,
भोर होते ही फिर कहने में हिचकता है.-
Udham singh kolo udham milya,
Bhagat singh ton mili deshbhagti.
Kartar singh saraabhe ton mili daleiri,
Gadri babeyan ton mili Azaad howan di soch pakki.-
Bina Manzil Ke,
Ek Khamosh Raah Banna Chahti Hun !
Iss Sheher Se Dur,
Kisi Jungle Me Ek Ghana Ped Banna Chahti Hun !
Bin Rishte Aur Bandishon Ke,
Ek Azadi Bhari Zindgi Jeena Chahti Hun !
Is Shor Bhare Mehfil Se Dur,
Kisi Nadi Kinare, Sukun Bhare Lamhe Chahti Hun !
Bahut Dino Baad,
Aaj Dusron Ke Liye Nahi, Khudke Liye Jeena Chahti Hun !
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जब बोलना आया, तो बेबाक हो गया में
सच बताया उन्हें, तो खाक हो गया में
नहीं था सुकून उनके साथ , दूर हुआ तो गुस्ताख हो गया में
परे हे मेरे ये रिश्ते नाते, छोड़ा तो उस्ताद हो गया में
जहाँ हर साख पर झूठे परिंदे बैठे है, साख से उड़ा तो आवाद हो गया में
जब वोलना आया, तो बेबाक हो गया में
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