अब और चला नहीं जा रहा है अकेले पैदल हमसे,
छोड़ रहा है दिल इस मन को कैद-ए-ज़द से।
न जाने शुरू हो जाए हमारा आखिरी वक्त कब से,
ले जाना हमें बेदाग,बाइज्जत यही दुआ है उस रब्ब से।-
Aug-2023 she visited to my profile, Sep-... read more
सत्त्व, रज और तम, ये तीनों गुण प्रकृति के तीन बुनियादी तत्व हैं, जो मनुष्य के स्वभाव और कर्मों को प्रभावित करते हैं। ये गुण सभी सजीवों और निर्जीवों में मौजूद होते हैं।
सत्त्व गुण: यह गुण सात्विकता, शांति, ज्ञान और समर्पण को दर्शाता है। यह गुण, प्रेम, दया, क्षमा और नम्रता जैसे गुणों से जुड़ा है।
रजोगुण: यह गुण क्रियाशीलता, उत्साह, और भौतिक सुखों की इच्छा को दर्शाता है। यह गुण महत्वाकांक्षा, क्रोध, और बेचैनी से भी जुड़ा हो सकता है।
तमोगुण: यह गुण अज्ञान, आलस्य, और अंधकार को दर्शाता है। यह गुण अकर्मण्यता, लापरवाही और निराशा से भी जुड़ा हो सकता है।
मनुष्य के जीवन में, ये तीनों गुण एक साथ मौजूद होते हैं, लेकिन किसी एक गुण की प्रधानता व्यक्ति के स्वभाव और कर्मों को निर्धारित करती है। उदाहरण के लिए, एक ज्ञानी व्यक्ति में सत्त्व गुण की प्रधानता होती है, जबकि एक भौतिक सुखों में लिप्त व्यक्ति में रजोगुण की प्रधानता होती है, और एक अज्ञानी व्यक्ति में तमोगुण की प्रधानता होती है।
— % &योग और ध्यान का महत्व:
योग और ध्यान के अभ्यास से, व्यक्ति अपने भीतर के गुणों को संतुलित कर सकता है और सत्त्व गुण को बढ़ावा दे सकता है। इससे व्यक्ति अधिक शांत, ज्ञानी और संतुलित जीवन जी सकता है।
निष्कर्ष:
सत्त्व, रज और तम, ये तीन गुण प्रकृति के अभिन्न अंग हैं, और इनका सही समझ मनुष्य को अपने जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
— % &-
आज गर्दिश में हैं अगर सितारे अपने,
तो कल फिर चलेगी आंधी जीत की।
के बारिश देगी हयात आफ़ताब-ए-क़ुक़्नुस को,
लिखी जाएगी कहानी मेरे और उसके गहन प्रीत की।
किताब-ए-माज़ी सा मा'शूक़-ए-हक़ीक़ी वस्ल नुस्खा,
कूज़ा-गर है वो इस जिस्म की मिट्टी का,
जिंदगियां बनाना काम है उसका।-
भगत सिँह जी सही कहें थे। कि सिर्फ आजादी हमारा मकसद नहीं है। आजादी का मतलब क्या है कि हुकूमत अंग्रेजों के हाथों से निकलकर मुट्ठीभर ताकतवर और रहीस हिंदोस्तानियों के हाथ लग जाए। क्या यही आजादी है, इससे आम इंसान की जिंदगी में कोई फर्क आऐगा ? क्या मजदूर और किसान वर्ग के हालात बदलेंगे। उन्हे उनका सही हक मिलेगा नहीं। आजादी सिर्फ पहला कदम है। मकसद है वतन बनाना, एक ऐसा वतन जहाँ हर तबके के लोगों को बराबरी से जीने का हक मिले। जहाँ मजहब के नाम पर समाज में बँटवारा ना हो। एक ऐसा वतन जो इंसान का इंसान पे जुल्म बर्दाश्त ना करे। हिंदोस्तान जहाँ इतने सारे धर्म, जातियाँ , भाषाएँ, cultures हैं उसे एक साथ जोड़े रखना आसान नहीं । अगर हम इस बात को आज नहीं समझेंगे। और इस मसले को लेकर आज से संघर्ष नहीं करेंगे। तो हिंदोस्तान कल एक आजाद मुल्क तो होगा, लेकिन भर्ष्ट, शोषक और सांम्प्रदायिक समाज बनके रह जाऐगा। इसलिए हम सबको मिलकर बनाना होगा एक समाजवादी वतन।
-
कोई मिटा दे फाँसला, कोई कर दे मुझे रिहा।
ये दिल है कैद में, और मंजिल सनम-ए-बेवफा।-
के चलना अब हमारा बरकरार रहेगा,
हमको ताउम्र तेरा दिया दर्द याद रहेगा।
मंजिल हमारी तलाश है अब खुद की,
अब खुद से ही खुद को हां प्यार रहेगा।-
Har mod par do chehre hain,
Har raasta hai do muha.
हर मोड़ पर दो चेहरे हैं,
हर रास्ता है दो मुँहा।-
छोड़कर मुझे एक बात सिखा गयी वो,
कोई अंजान अपना नहीं होता ये बात समझा गयी वो।
हक जताकर मुझपर फिर पल्ला छुड़ा गयी जो,
मेरे जीते जी मुझे दफ़्ना गयी वो।-
चलो नये रास्ते ढूँढते हैं,
चलो निकलते हैं नई मंजिल की ओर।
चलो करते हैं इस दर्द-ए-सागर को पार,
शायद मिल जाए हमें हमारा छोर।-