Madhusudan Shukla   (✍️ᏦᏒᎥshᏁᎪ)
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Joined 29 February 2020


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Joined 29 February 2020
21 FEB AT 13:16

तुम चलना
न आगे न पीछे
बल्कि साथ-साथ
मैं थामें रहूँगा
तुम्हारा दाहिना हाथ
चलना संभल संभलकर
थोड़ा हमसे ऊपर
पगडंडियों पर..

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20 FEB AT 14:21

बताए उन्हें जब जतन ज़िन्दगी के।
मुझको फिर शामों-सहर ढूंढ़ते हैं।।१।।

अक्सर वो रहते थे गम-ए-दहर में।
मिली है मोहब्बत फहर ढूंढ़ते हैं।।२।।

उड़ाए रकम फिर यूँ ही जशन में।
निकाहे फ़ज़्ल में महर ढूंढ़ते हैं।।३।।

मिटाने की साज़िश में शिकस्त पाकर।
ज़माने में ज़ालिम ज़हर ढूंढ़ते हैं।।४।।

हमने सिखाया पढ़ना जिसे वो।
हमारी ग़जल में बहर ढूंढ़ते हैं ।।५।।

वाक़िफ हुए अब यहां हर गली से।
चलो 'कृष्ण' अगला शहर ढूंढ़ते हैं।।६।।

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10 FEB AT 12:45

कैसे बताऊं किससे मोहब्बत हुई है हमको,
एक काम करो तुम जाकर आईने में देख लो...

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8 FEB AT 17:14

एक दो ज़ाम नहीं कश पे कश मार आए हैं,
हम उनपे अपनी तमाम उम्र हार आए हैं...

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5 FEB AT 16:49

हल..!!
(कृपया अनुशीर्षक देखें...)

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3 FEB AT 23:46

उजाले चाँद के हैं कि सूरज के, क्या ख़बर।
मैं तो डूबा रहता हूँ किताबों में आठों पहर।।

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23 JAN AT 1:28

The feelings, that makes your best version is LOVE

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18 DEC 2023 AT 17:39

मेरा हंसता हुआ चेहरा मुझे तकलीफ़ देता है,
ज़माना मुस्कुराता है मेरी ग़मगीन बातों पर।।

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29 SEP 2023 AT 10:17

सबकुछ में कुछ...
(कृपया अनुशीर्षक देखें)

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25 SEP 2023 AT 15:40

गोण्डा माँगे विश्वविद्यालय...
(कृपया अनुशीर्षक देखें)

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