Madhusudan Shukla   (✍️ᏦᏒᎥshᏁᎪ)
2.6k Followers · 722 Following

read more
Joined 29 February 2020


read more
Joined 29 February 2020
20 APR AT 17:50

मेरी "विचारधारा"

-


5 MAR AT 14:38

सफलता क्या है ?
(अनुशीर्षक देखें )

-


1 SEP 2024 AT 17:23

क्या लिखूँ

तुमको अपना मीत लिखूँ
या तुमपर कोई गीत लिखूँ
या तेरे मेरे किस्से में मैं
अपनी हार को जीत लिखूँ । क्या लिखूँ...

तू रिमझिम सावन की फुहार
तू मद्धिम पूरब की बयार
मैं तुमको मौसम क्वार लिखूँ
या फिर अपना इतवार लिखूँ । क्या लिखूँ...

तू सरल सुकोमल मधुर वाग्
मेरे जीवन का ख़ूब भाग
तुम्हें सात सुरों का राग लिखूँ
या रिश्तों का मैं ताग लिखूँ । क्या लिखूँ...

तुझे हर पल मेरा रहे ख्याल
और हर दिन पूछे हालचाल
मैं नाटक और बवाल करूँ
गुस्से से तुमको लाल करूँ
तू एक किनारे गुस्से में भी
करती मेरा देख - भाल
मैं तुमको अपना ढाल लिखूँ
या फिर पूजा की थाल लिखूँ । क्या लिखूँ...


-


4 JUL 2024 AT 14:33

तेरे ग़ज़ल की लिखावट कुछ इस कदर है 'कृष्ण'
लोग अश्क बहाते हैं और वाह-वाह करते हैं...

-


21 FEB 2024 AT 13:16

तुम चलना
न आगे न पीछे
बल्कि साथ-साथ
मैं थामें रहूँगा
तुम्हारा दाहिना हाथ
चलना संभल संभलकर
थोड़ा हमसे ऊपर
पगडंडियों पर..

-


20 FEB 2024 AT 14:21

बताए उन्हें जब जतन ज़िन्दगी के।
मुझको फिर शामों-सहर ढूंढ़ते हैं।।१।।

अक्सर वो रहते थे गम-ए-दहर में।
मिली है मोहब्बत फहर ढूंढ़ते हैं।।२।।

उड़ाए रकम फिर यूँ ही जशन में।
निकाहे फ़ज़्ल में महर ढूंढ़ते हैं।।३।।

मिटाने की साज़िश में शिकस्त पाकर।
ज़माने में ज़ालिम ज़हर ढूंढ़ते हैं।।४।।

हमने सिखाया पढ़ना जिसे वो।
हमारी ग़जल में बहर ढूंढ़ते हैं ।।५।।

वाक़िफ हुए अब यहां हर गली से।
चलो 'कृष्ण' अगला शहर ढूंढ़ते हैं।।६।।

-


10 FEB 2024 AT 12:45

कैसे बताऊं किससे मोहब्बत हुई है हमको,
एक काम करो तुम जाकर आईने में देख लो...

-


8 FEB 2024 AT 17:14

एक दो ज़ाम नहीं कश पे कश मार आए हैं,
हम उनपे अपनी तमाम उम्र हार आए हैं...

-


5 FEB 2024 AT 16:49

हल..!!
(कृपया अनुशीर्षक देखें...)

-


3 FEB 2024 AT 23:46

उजाले चाँद के हैं कि सूरज के, क्या ख़बर।
मैं तो डूबा रहता हूँ किताबों में आठों पहर।।

-


Fetching Madhusudan Shukla Quotes