Bade shehar bahut khokhle hote hain... Bheed toh hoti hai, par log nhi... Chamak har jagah hoti hai,par roshni nhi... Shor har Taraf sunai deta hai, Par awaaj nhi... Har jagah koi na koi hota hai, Pr aas paas koi nhi....
BADE SHEHAR BAHUT KHOKHLE HOTE HAIN SAHAB!!!-
❣️❣️❣️MEERA ❣️❣️❣️
मीरा मिश्री से मीठे बोल तेरे जब सुने
इन हवाओं में जैसे रस घुल गए
क्या जादू कर दिया तेरी बातों ने कि हम मदहोश हो गए
तेरे होठों में शहद की मिलावट है
तभी तो तेरी बातों में इतनी मिठास है
हमें देखकर चेहरा क्यों छुपा लिया
हम कौन से तेरे चेहरे के दीवाने थे
जब से सुनी थी तेरी आवाज
हम उस आवाज के दीवाने थे
-
"ख्याल पुराना सा"
मुझे तो वो पुराना वाला रिवाज भी अच्छा लगता है,
सर पे तुम्हारे दुप्पटा मुझे आज भी अच्छा लगता है।
छूना सारी ऊंचाइयां ,हुनर तो तुम भी लाजवाब रखती हो,
घर की लक्ष्मी बनी रहो तुम ,ये ताज भी अच्छा लगता है।
कहाँ मिलेगा दिन भर की थकान में प्यार तेरी खुशियों का,
तेरे हाथों की चाय से दिन का ,आगाज भी अच्छा लगता है।
कौन कहता है कम्बख्त लड़कियाँ आसमाँ नहीं छू सकती,
सुने हज़ारों की भीड़ तुम्हें ,वो आवाज भी अच्छा लगता है।
चहचहाना चिड़ियों सा बिन मौसम बरसात सा लगता है,
घर को खुश रखने का तेरा ,अंदाज़ भी अच्छा लगता है।
बेच कर रख दिया है इंसानियत इन धर्म के ठेकेदारों ने ,
तुम्हें पसंद हों श्री राम तो ,मुझे नमाज भी अच्छा लगता है।-
Mere alfaaz pahunche
toh
dil o jaan tk pahunche
Warna is kaan us kaan
ka safar lamba toh nhi.-
सारा दरिया हम पर ही है, ज़ख्म भी सब नासाज़ बहुत है,
पर हर ज़ख्म भुलाने को बस, तेरी एक आवाज़ बहुत है।।-
तेरी यादों में भी एक अफसून है ,,
तू पास नहीं फिर भी सुकून है !!
-
Khud ki Kahani likhne Chali hun,
Khud ka mazi batane Chali hun,
Khud Ko rooh-ba-rooh aaj karne Chali hun,
Phir se aaj purani yaadon me bahene Chali hun,
Jis ko mein bhulne ki koshish sadiyon se kar rhi thi,
Aaj use yaad kar ke khud ko taqleef dene Chali hun,
Dafan tha jo raaz kayi arson
se use aaj baya karne Chali hun,
Dastan Mohabbat ki likhne Chali hun...-
हादसों से नहीं घबराई मैं इतना,
जितना आपकी सोच से थी घबरा गई
आपने तो पूरा कसूरवार उस लड़की को ही टहराया है,
आपकी नज़रो में तो, लड़के सारे वीर हुए
उन वीरों का मन, हमारी वजह से डोला है
इस कायरता वाली सोच ने,
मुझे हर दिन अंदर से तोड़ा है
मुबारक हो आपको, आपकी मेहनत साकार हुई,
आपकी बातों से, एक और लड़की टूट गई!!!!!-
नहीं समझ आता मुझे की मैं क्या लिखूं.......
जब तुम्हें चोट लगी थी, तब उस माँ कि आँखों से बहे आंसू लिखूं
या तुम्हारी वजह से, उस रात उस लड़की की चीखे लिखूं
जब तुम भूखे थे, तब उस माँ के हाथों से खाया हुआ खाना लिखूं
या जब तुम हवस में भूखे थे, तब उस लड़की का खाया हुआ शरीर लिखूं
जब तुम पिता कि डांट से छुप रहे थे, तब उस माँ का आचंल लिखूं
या जब तुमने उस लड़की का आचंल उतार फेंका, उस समय उस खाली सड़क का सनाटा लिखूं
जब तुम्हें अपनी फरमाईस पूरी करनी थी, तब उस माँ ने अपने बचे हुए पैसे तुम्हे दिए, उस माँ की वो ममता लिखूं
या जब तुमने उस लड़की को मिटाकर अपनी हवसी फरमाईस पूरी की, वो शौतानी इंसान लिखूं
तुम्हीं बताओ बंदु,
मैं क्या लिखूं!!!!!!!-