ज़ुल्मों को हथियार बनाकर, अंग्रेजों ने हुकुम चलाया था।
मार मार कर अपनों को, हमें बहुत रुलाया था।।
हिम्मत वाले वो लोग, जो अपनों के लिए खड़े हुए।
सहे वो गोली छाती पर, और बंदूकों से खूब लड़े।।
आज भी देखो घर घर में, अंग्रेजों की ही टोली है।
बुरा भला सब दूर हुआ, घर ने ही इज्ज़त लूटी है।।
न जाने वो कहाँ गए, जो हिम्मत को दिखलाते थे।
आज घड़ी वो आन पड़ी, जब हमें भी गोली खानी है।।
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