तालाब के किनारे, रात और तन्हाई,
मछली का खेल, दिल को सुलगाई।
निठल्ले दिनों में रिस्क को तरसे,
ना मिला रिस्क तब मछलियों पर बरसे।-
वैसे भी हमे कीड़े पसंद नही ,
...
जिंदगी मे मिठास सबकुछ... read more
लगता है, आंसू का ही समंदर है
वरना हर आंसू, खारा नहीं होता |
मखलूकको, खालिक ने समंदर से बनाया है
वरना हर आंख में, आंसू नहीं होता ||
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हमें अपनो ने लूटा गैरो में कहा दम था,
हमारा पैर वहा गिरा जहा चुना कम था-
बुम बराडा 😂😂-
हम कौन है ?
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शब्दो के मोती से माला परोसते है हम ।
अपनो के जख्मो को कागज मे ढोते है हम ।।
दिलों पे मरहम शब्दो से लगाते है ।
शब्दो के तीर दिल पे चलाते है ।।
शब्दो से हम आदर सिखाते है ।
बच्चो को भी हम आप कह कर बुलाते है ।।
शब्दो के तूफान से लहर उठाते है ।
खत्मे शायरी से समंदर घूम आते है ।।-
आखों आँखों मे कुछ बात कह रहा था
पैदा होते ही मुझ को बाप कह रहा था
हमने भी देख लिया, खानदानी आइना
मेरा बच्चा मेरे बाप (दादा) जैसा दीख रहा था-
હૃદય પર રાણી રાજ કર્યો..
કર્યો ભાવવિભોર,
કથક કામિની, કોમલ કુંડળ
કંગન કહે , કૂછ ઓર..-
મારા ઘરના આંગણે આવ્યો મોર,
આવ્યો વસંત, નાચે મોર,
ટહુકો કાજે
મણ્ડૂક ગાજે ચોકોર...-
Just reached Eidgah for dua,
feeling recall I was with dad
बस दुआ के लिए ईदगाह तक पहुंचे थे कि,
मुझे याद आया कि मैं अब्बा के साथ था-
गिरते हुए गुलाबको, रोका न किजीए
हर शाम ढलती है, टोका न किजीए
नई किताबें बहोत बिकती है बाज़ारोमे
गिरी हुई पंखुडीको संभाला न किजीए-
आज फिर मगरीब से फिझा आई है
'फकीर' की दुआ से खुशीया लाई है
गम है हमे अपनोको खोनेका
फिरभी इद हमने खीर से मनाई है-