मिट्टी ने दिया वो सब, जो पहचान बना हमारी
मिट्टी की ही परवरिश में, उज्ज्वल हुआ संसारी
उसी मिट्टी के रक्त से, अब सना हुआ है प्राणी
मान जा, तू वक़्त रहते, साफ करले चोली.....
Action Now: savesoil.org-
वो कहते हैं न...
Whatever you do, there is one or other person always has something to say 😉
खामोशियों को सुने अरसा बीत गया..
इनायतों का सिलसिला अब भी जारी है..💜-
वृक्षों से सीखा है हमने, कैसे परहित का सुख लेना..
जीवन के हरेक कदम पे, कैसे अपनों के संग रहना..
प्रेम सूत्रके धागे को, किस प्रकार सहेजकर रखना..
हठी, मूढ़ी इस चंचल मन को,
निर्मल और निश्छल बनाकर रखना..-
Link in caption and in Bio for
"विचारधारा.. ScrappyThoughts 2020"
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तस्वीर.. एक बूढ़ी माँ की नई तकनीकि के साथ काम करने की..
तस्वीरों के खेल में न उलझिये,
सच्चाई! इसे पाने में ज़िन्दगी खुद बीत जाएगी।
कोशिश तो की थी...
उस माँ को चैन की नींद देने की,
देख उसको फिर ऐसे आँखें भर आएँगी।।-
ख़ामोशी का चेहरा इतना अजीज़ है,
पहले पता होता..
तो बकबक में समय गुज़रा ना होता ❤️-
लोगों के ज़हन को चीड़ता हुआ
धुआँ-सा घूमता हुआ
और साँसों में रेंगता हुआ
ये फुटकू-सा कीड़ा धमाका मचा रहा..
इसके ना पैर हैं ना हाथ हैं
अपनी ही मस्ती में पगलाए जा रहा
बेवकूफ-सा बिन बुलाए ही घर में घुस रहा
और लोगों के झूने पर काला जादू कर रहा
ऐसा corona जब दुनिया पे झाए
तो भूले भटके लोग फिर से घर वापस आए
वही छोटे-मोटे संस्कार जो बचपन में घूमने गए थे
...चीन
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अब जाकर सबने अपनाए..
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किसी ने कागज़ के टुकड़ों का मोल है आँका (धन)..
तो किसी ने मदद और ख़ुशी का सुख औरों को बाँटा..
ज़िन्दगी कह चली सभी से ये फ़कीरा...
इंसानियत के रंग ने सबको प्रेम से है सँवारा..-
वक़्त-वक़्त की बात है, कभी इंसां तो कभी राख है।
दिखाते तो सब स्वर्ग हैं, पर होता नरक का द्वार है।।
(अनुशीर्षक..)-
ख़ुदा ने बक्शी है जन्नत बच्ची के रूपसा
पिता के प्रेम से उसने सँवारा है रंगसा..
कुछ कमी भी होती गर उसकी छाओं में
भर देता वो उसे माँ के सम्पन्न आँचल से..-