Izhar Ahmed   (Izhar اظہار)
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Joined 5 April 2019


Joined 5 April 2019
28 JAN 2021 AT 19:14

محبت اُلفت عشق یادیں کیا کیا الفاظ ہے
یہ سارے الفاظ یاد آتے ہی اِک انسان برباد ہے

मुहब्बत उल्फत इश्क यादें क्या क्या अल्फ़ाज़ है
यह सारे अल्फ़ाज़ याद आते ही एक इंसान बर्बाद है।

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15 JAN 2021 AT 23:33

गर मुहब्बत है तो इजहार करो
क्यों उसे सरे आम नीलाम करते हो।

गर उससे नहीं है तुम्हें मुहब्बत
तो छोड़ो क्यों उसे तुम बदनाम करते हो।


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13 JAN 2021 AT 21:13

इस दौर ए बेवफाई में तुम भी वफ़ा की उम्मीद रखते हो।
इजहार तुम भी ना, कितने नादान हो जो वफ़ा करते हो।

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14 NOV 2020 AT 18:53

दीपावली पर दीप तो हर कोई जलाता है दोस्त
तुम कुछ नया कर सको तो करके दिखाओ

अपनी परंपरा, आस्था को यूंही बनाए रखना
किसी की ज़िन्दगी में खुशियां भर के दिखाओ

ये परंपरा तो सदयों से चलता आ रहा है दोस्त
किसी अनाथ की ज़िन्दगी में रंग भर के दिखाओ

दीपावली तो हमारी आपकी यूंही गुज़र जाएगी
किसी गरीब की ज़िन्दगी में खुशी भर के दिखाओ

इजहार अगर तुम चाहते हो समाज की तरक्की
तो हिन्दू मुस्लिम एकता बरकरार रख के दिखाओ

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9 NOV 2020 AT 19:59

आलमी यौमे उर्दू

उर्दू एक ऐसी ज़ुबान है अहले वतन
जिसे तुम हिन्दुस्तानी ज़ुबां बोलते हो
यह गैर मुल्कों की जुबां नहीं
मेरे हिन्दुस्तान कि जुबां है उर्दू
उर्दू से ही हमारी सकाफत है
तो उर्दू से हमारी इज्जत है दोस्त
कैसे कहूं गैर मुल्की जुबां है उर्दू
इसी जुबां ने पहचान दी प्रेम चंद को
जो लोग मुखबिर थे अंग्रेज़ों के
वो आज उर्दू के मुखालिफ ठहरे हैं
कभी इसे दकनी कभी रेख़्ता तो
कभी इसे हिन्दवी ज़ुबां बोला गया
जो लोग उर्दू से किया करते हैं नफरत
सुनो प्यार व मुहब्बत की ज़ुबां है उर्दू
इजहार अगर करते हो उर्दू से मुहब्बत
तो सलीका ए उर्दू पेश करना ना भूलो

इजहार अहमद




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11 OCT 2020 AT 14:46

बेटों से ज्यादा मां बाप को प्यार करती हैं बेटियां
ना जाने क्यों हर जगह कुचली जाती हैं बेटियां

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11 OCT 2020 AT 14:22

अये हुस्न की मलिका ज़रा सुनो
हुस्न पर पर्दा करो क्यों दिखाती हो रहने दो

अपने हुस्न को संभाल कर रखो
क्यों कयामत ढाती रहती हो रहने दो

ये हुस्न ना जाने क्या बला है
जिसे तुम दिखाती रहती हो रहने दो

अपने हुस्न कि हिफाज़त करो जानम
क्यों लड़कों को तड़पाती रहती हो रहने दो

मेरी तुम से यही इल्तिज़ा है पर्दा करो
क्यों चेहरे से पर्दा हटाती रहती हो रहने दो

तुम खुद को संभालो अब ज़रा इजहार
बस अब यह सिलसिला जारी रहने दो




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25 AUG 2020 AT 21:48

याद है मुझे
मेरे हाथों में जो तुम ने हांथ रखा था
अब भी वो ज़माना याद है मुझे
तुम मुझे भूल गई कोई बात नहीं
वो सारे फसाने याद है मुझे

अब किस से बताऊं दिल की बातें
मुझ पर गुज़रा हुआ ज़माना याद है मुझे
फसाना सुनाने को सारा जहां बाकी है
लेकिन तुम्हे सुनाया हुआ फसाना याद है मुझे

वैसे तो मैं सब कुछ भूल गया हूं
लेकिन वो दर्द भरा फसाना याद है मुझे
तुम अपने फसाने की बात ना करना
मेरे गुज़रे हुए फसाने याद है मुझे

तुम किसी से ना बताया करो दिल की बातें
मुझ पर तंज कसा हुआ ज़माना याद है मुझे
क्या कहना इस ज़माने की मुहब्बत को
इज़हार वो गुज़रा हुआ ज़माना याद है मुझे

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27 JUL 2020 AT 13:19

कोई मेरे किरदार पर उंगली उठाए
यह मुझे हर गिज क़ुबूल नहीं।

इजाज़त है उंगली उठाने की उस शख़्स को
जिसके किरदार में बिल्कुल भी कमी नहीं।

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27 MAY 2020 AT 14:22

थोड़ा सा तुम हौसला रखना।
लोगों से जरा फासला रखना।
कोरोना भी खत्म हो जाएगा।
बस रब से जरा राबता रखना।

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