हाँ हूँ मैं सहमी लड़की पुरानी वही,
मैं अरमानो को ताख पर रखती हूँ!!
गंदी नज़र रखते हैं सभी मुझपर,
पर मैं दुपट्टे को साफ रखती हूँ!!
ख़्वाहिश है आसमां में उड़ने की बहुत,
इसलिए कुतरे परो को साथ रखती हूँ!!
हुस्न के दीवाने हैं जमाने वाले सभी,
यह सोचकर मैं चेहरे पर हिजाब़ रखती हूँ!!
डूब मरो हम लड़कियों को तुच्छ समझनें वालो,
इसलिए हाथों में चुल्लू भऱ आब रखती हूँ!!-
गुलिस्ताँ ये इश्क की मह़क लाजवाब होगी ,
काटों का भी क्या कहीयें जख्मों की दास्तान भी बेमिसाल होगी।
शबनम कि तरहा है तेरे सुर्ख लब , इन पनखुडीयों की भी एक कहानी होगी ।
तेरे ये जुल्फ के जाल उफफ् ,ये भी कयामत की एक निशानी होगी।-
घोंट के ख्वाईशों का गला,सजाके तबस्सुम़नकाब़ सी,
छुपा के,वफा़ कुछ़ यूँं मिटाई,तेरे संग जीने की आरजू ,
रखी,ताउम्र,राज़,तुझको रुसवा ना किया,खुद़ भी,
पशेमां ना हुए।-
तुम्हें अपने दिल में सदा के लिये कोई नहीं रख सकता..
"माँ" जैसी मोहब्बत तुमसे कोई और नहीं कर सकता..!!!-
मैं वो दरख़्त हूं,,,
जिसके नीचे खेलते कूदते गुजरा है बचपन तुम्हारा
बरसों से एक सखा जैसा रिश्ता था हमारा,,,
तपती दोपहरी में मै ही था एक छाया तुम्हारा
झेले कितनी आंधियां बारिश और सर्द रातें
फलों और फूलों से भरता रहा दामन मैं तुम्हारा
खड़ा हूं आज मैं वीरान बेबस और अकेला
बरसों से कर रहा था लौटने का इंतजार तुम्हारा
फट गई खाल भी और जीर्ण हो गयी हर शाख
तकती है राह आंखें कब लौटेगा शहरी बाबू वो हमारा
अचानक आ ही गयी वो घड़ियां भी एक दिन
मैं बाहें खोलकर कर रहा था स्वागत बूढ़ा बेचारा
और तुमने बेरुखी से देखा एक नजर,,, मुझको
कहकर बूढ़ा है बेकार है,,, और चलवा दिया मुझ पर आरा,,,
चलवा दिया मुझ पर आरा,,,😞😞😞-
इन्सान यहां आता है और जाता है मगर
असबाब यहां रहकर लड़ाता है सभी को
انسان یہاں آتا ہے اور جاتا ہے مگر
اسباب یہاں رہکر لڑاتا ہے سبھی کو-
मांगी थी उन्होंने मोहब्बत की निशानी.!
उनके लबों पर निशान छोड़ आए हैं..!!-
Chand chuskiyon me zindagi jeeni hai..
Tere hotho se lagi chai peeni hai..!!!-
कुछ यूँ मेरे इश्क़ के तलबगार वो होने लगे...
क़रार धड़कनों का करके नैनों में भी सजने लगे..!!-
कही भी तुम्हारे नाम से कोई किसी को भी बुलाता है
देख लेती हू मैं कहीं तुम तो नही ऐसा सवाल आता है।।-