Rita Duggal   (Asshu)
2.1k Followers · 2.2k Following

https://www.amazon.in/dp/B0825N1ZBZ
Joined 10 June 2018


https://www.amazon.in/dp/B0825N1ZBZ
Joined 10 June 2018
2 DEC 2021 AT 22:49

जिंदगी अजब पहेली, सुख-दुःख दोनों की है;
हमजोली।जीवन गीत सा लो गुनगुना, ये तो है,
नज्म सी संजीदा भी।ईश्वर की है नायाब देन।
गमों के दौर को मुस्कुरा कर शिकस्त दो।

-


29 NOV 2021 AT 22:51

जीवन शतरंज की बिसात, शब्द मोहरे से दिलाए;
शह और मात।शब्दों से मिलें घाव,औषधि भी बनें
सच्चे अलफाज। रखें ख्याल ना बनें अपशब्द;
बनें रामबाण औषधि का करें काम।

-


17 AUG 2021 AT 22:58

नब्ज़ हो जाये गर मदम ,सह के थपेड़े जिंदगी के,
इम्तिहान से;हौंसले देने लगे जबाब तेरे,ऐ बंदे;
ना होना हतोत्साहित, जिंदगी की बाजी इक,
और बार खेल जा ;लगा के सारी ताकत अपनी।
जीत-हार तो लगी रहेगी, जिंदगी के साथ भी,
और जिंदगी के बाद भी।

-


8 NOV 2021 AT 21:47

अलफाजों ने ओढ़ ली खामोशी; एहसासों का,
दम घुटने लगा है; तन्हाई का आलम है, हर तरफ
मानो, खुद को खुद ही नजर लगी है।नजर उतारो
यारो,अब तो तुम्हारी ही नजरे इनायत है।

-


16 SEP 2021 AT 22:30

देर तक करवा के उनींदीं पलकों से रतजगे;
जगाती है अरमानों को।खुद ना आ सको तो,
कोई स्वपन सलोने ही दिया करो सजा सूनी,
पलको को।कम से कम गैर उदासी का सबब तो,
पूछना ही छोड़ देंगे।

-


9 SEP 2021 AT 8:59

खामोश निगाहों की गुफ्तगू इश्क़ की पहचान है;
नाराजगी का जरीया और अनकहे जज्बातों की,
जुबान है। खामोशी रुह की ताकत,अमन का;
पैगाम है।

-


7 SEP 2021 AT 9:25

हकीकत से वाकिफ करा रही है, कभी हँसा और,
कभी रूलाकर जीना सीखा रही है। यादों के;
पिटारे से हसीन लम्हे चुराकर चेहरे पे तब्बसुम
सजा रही है।लम्हा-लम्हा लगा के मौत को गले;
मंजिल के करीब आ रही है।

-


29 AUG 2021 AT 10:05

महसूस कर पाओगे, अनगिनत सजे पलकों पे;
सपने सलोनै,पलक-पांवड़े बिछाये तन्हा सी;
जिंदगी, फिर से जी उठे।अब,अगर आओ तो ना,
जाने के लिए ही आना,सिर्फ एहसान जताने के;
लिए मत आना।

-


19 AUG 2021 AT 22:16

जहनो-दिल में,चेहरा हुआ है गम की किताब सा,
कोई ना चाहे पढना हारे इश्क़ के अफसाने; गोया
सुलगता रहता है, महकता और महकाता है, हर,
पल,मुहब्बत है जो इक खुशबू की मानिंद, कहाँ;
जीने देती है तन्हा-तन्हा?!

-


19 JUL 2021 AT 22:12

गजल सा था वजूद, गुले-गुलजार हुआ तन-मन;
खुशबू सी बसी एहसासों में,रोम-रोम रच-बस;
गई मुहब्बत।जुदाई से खारों से धूल-धूसरितहुए,
सब स्वपन सलोने,फिर,भी महकते हैं, जज्बात;
जैसे खुशबू जा ना सके सूखे गुलाबों से।

-


Fetching Rita Duggal Quotes