मेरे ईश्वर को नाज़ है मुझपे.....
मैं बिखरने के कगार से सिमटी हूं.....-
बुझे.........…????
Buxar( B... read more
दिल और दिमाग़ की जद्दोजहद में ..
दिल आज भी भारी है ....
टूटा तो तू कितनी बार....
अब किस कदर बिखरने की तैयारी है...-
हर्फ़ दर हर्फ़ बुनने में मशरूफियत इतनी..
कि तेरे बेरूख़ी का इल्म भी न कर सकी...-
कि राख को खाक में मिल जाने का भय अब कैसा..
तू मेरा होके मेरा बन ना सका अब रंज कैसा..-
और हुआ वहीं,
जिसका डर सताए जा रहा....
दिल लगाया वो तो ठीक..
पर अब चोट खाए जा रहा.....-
पिता को खोने जैसी चीज शायद ही कोई कल्पना भी कर सकता होगा... और ऐसी घटनाओं का घट जाना किसी त्रासदी से कम नहीं होता.....
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मेरी कलम का तुझे उकेरना
बातों में तेरा ही ज़िक्र होना
गाहे-बगाहे तेरी यादों में कैद होना
और....
तेरा मुझे अदना सा महसूस कराना !!
तेरे दिए गुलाब को सहेजना
तुझे याद कर मुस्काना
बालों को खुला ही छोड़ना
और....
तेरा मेरे दिए खतों को फाड़ना !!
तुझे सोचना ,तुझे सुनना
तुझे निहारना ,तुझे पहनना
तुझे मनाना ,तुझे हँसाना
और...
तू ,मुझे मेरे हिस्से का भी ना मिलना !!
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बालों को खुला ही छोड़ना....
ललाट पर छोटी बिंदी लगाना...
आँखों मे सुरमा सजाना ......
हाँ ,मुझे आता है उन्हें मनाना....-
पटाखों की शोर से ज़्यादा..
घरों में उजियारी हो...
उम्मीद है ऐसी ही
हम सबकी दीवाली हो..
Happy Diwali...-
तेरे बाद भी .....
तेरे साथ भी...
हमनें तो कुछ न माँगा था ,
तेरे सिवा.....-