QUOTES ON #ALONE_SOUL

#alone_soul quotes

Trending | Latest
24 JUN 2020 AT 16:43

अपनों की महफ़िल में ही हम न जाने कब से गुमनाम रहे
एहसास तो तब हुआ जब उन्हें ख़ुद को समझाने में हम हर बार नाकाम रहे

-



जो बेवजह हँसते है ना!
उनको वज़ह देकर रुलाता है "खुदा"

-


28 JUN 2020 AT 11:03

यूँ दुनिया के आगे रो कर नहीं बताया करते हम अपने ग़म,
वो तो अल्फ़ाज़ों के ज़रिये ख़ुद-ब-ख़ुद पन्नों पर बिखर जाया करते हैं !

-



स्वाभिमानी हुँ में मेरा स्वाभिमान
बन पाओगी बोलो ना
हारने ना दे मुझे वो आत्मसम्मान
बन पाओगी बोलो ना
हर गलती माफ कर सच्चा प्यार
कर पाओगी बोलो ना
हैसियत छोड़कर मेरी सख्शियत
अपनाओगी बोलो ना
तुम जो हो जैसी हो हर परिस्थिति
में मंजूर हो मुझे
पर जिंदगी भर मेरा साथ निभा
पाओगी क्या बोलो ना
कितना प्यार है इस दिल मे बयां
नही कर सकता
पर तुम बिना कहे मेरे जज़्बात समझ
पाओगी बोलो ना

-


20 AUG 2020 AT 22:31

तेरे आगोश की वादियों,
में गुज़री वो शाम।
बस जेहन में कैद नहीं,
इसके चर्चे हैं सरेआम।
अब तो, लोग भी ताना कसे है।
कब आएगा, तेरा बहार-ए-आलम।
पूरा सावन तो बीत चला,
सारे मौसम भी ख़त्म हुए।

-


22 JUL 2020 AT 13:37

Don't get too much attached with any one because that
"too much"
pains too much

-


25 MAR 2021 AT 21:38

❣️अब दूरियां बढ़ने लगी थी ❣️

मेरी राहें अब मुश्किल भरी थी
चेहरे सामने हज़ार थे
लेकिन मेरे दर्द को महसूस किसी ने नहीं किया
फ़िर भी खुश थी मगर
अंदर से टूट चुकी थी
लगता था हम दोनों के बीच
अब दूरियां बढ़ने लगी थी,,,

रोना भी चाहूं , दर्द छुपाना भी
पर क्या फ़र्क पड़ता है किसी को इससे
मानो सिर्फ़ मैं जी रही थी
पर जीने की कोई उम्मीद नहीं
जब जागा तभी सबेरा ऐसा कुछ हो
मेरे सामने धुंधली मंज़र भी नहीं
अब दूरियां बढ़ने लगी थी,,,,,

गलती क्या थी मेरी बस इतना
की मैंने तुमसे उदास होने का वजह ही पूछी थी
माफ़ करना गलती हुई
अब दोबारा ये गलती करूं
मेरे जिंदगी का सफ़र अब अधूरा नहीं
छोड़ दिया मैंने भी तेरी फ़िक्र करना
मैं शमा की तरह जो जलने लगी थी
अब दूरियां बढ़ने लगी थी,,,,,


-



पापा...

-


19 APR 2020 AT 22:13

कभी उसके बिछड़ जाने का डर हुआ करता था
अब उसके लौट आने की उम्मीद .....

-


14 JAN 2021 AT 20:55

कहाँ किसी से घुलती मिलती हूं अब ,
न जाने कितने दिनों से मौन हूँ मैं.....
लोगो को जानने की फुर्सत नहीं है अब,
खुद को ही न जानूँ कौन हूँ मैं..?

शायद समुद्र से लगता कोई किनारा हूं मैं....
या फिर अनजान शहर का कोई गलियारा हूं मैं.....

शायद मंजिल को ढूँढती कोई राहगीर हूं मैं...
या फ़िर रांझे से बिछ्ड़ी कोई हीर हूं मैं....

या फिर दुनिया की बातों को दिल पे लेती एक कमबख्त हूं मैं......
फूल सी कोमल या लोहे सी सख्त हूं मैं.....

शायद पराया कह के जिसको भावुक कर दिया जाता है , वो धन हूं मैं.....
हर किसी ने महसूस किया होगा , वो अकेलापन हूं मैं,

शायद अंनत गहराई वाला कोई दरिया हूं मैं...
खुद से खुद तक पहुचने का बस एक ज़रिया हूँ मैं....!

-