चिरागो को जलाने में उंगलियां जाला ली मैंने
हवाले कर दिया फिर जुगनूओ के आशियाँ मैंने
तुझे मैं क्या बताऊ क्या तेरा किरदार है इसमें
पढ़ी खुद ही नहीं अब तक, अपनी दास्तान मैंने
दिखावे की मुहब्बत से बहुत उकता गयी थी मै
बना ली फिर ज़माने में सभी से दूरियाँ मैंने
कही दुनिया की जीनत की तरफ वापिस न हो जाऊँ
इसी डर से मिटा डाले है कदमो के निशान मैंने
सितारे चाँद सूरज सब फलक के पास है लेकिन
झुका देखा जमीं के जर्रो पे यह आसमान मैंने
बड़ा ही सँग दिल है बेमुरब्बत बेवफ़ा..
तेरी तारीफ कर डाली है मक्ते में बयां मैंने
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तुम्हारे इन होंठो से झगड़ना है, इजाजत चाहिए
तुम्हे अपनी बांहो में भरना है इजाजत चाहिए
इश्क की क़ायनात का अकेला चाँद हो तुम
इक आसमा तेरे नाम करना है इजाजत चाहिए
तेरा नाम ले कर साँसे बैचेन करती है
इन साँसों को परेशान करना है इजाजत चाहिए
ख्यालों की दुनिया, जज्बातो के सागर से
तुम्हारे बारे में कुछ लिखना है इजाजत चाहिए
आज आसमा कमफ़र्ज सितारो से भरा है
यहाँ जुगनूओ को छोड़ना है इजाजत चाहिए-
वह भी वाकिफ है, फितरत से वक़्त की
जहाँ आज शाम ढली है,
वही कल सूरज उदयमान होगा
बस एक हम ही है बेचैन ,ताकते है रहगुजर को
कुदरत का अपना तकाजा है
वक़्त से ही हर एक काम होगा-
वो घुटन में कैद रिश्ते ढो रही है
रातों में टूटकर तन्हा रो रही है
एकतरफा संभाले है डौऱ हाथ
बहते अश्क़ गमे रंज हो रही है
कश्मकश में यूँ घिरी वो रो रो वह
मानो सांसे उसकी गैर हो रही है
ठहर जाती है देख गैरत अपनी
यूँ खुदमें खुदसे नफ़रत बो रही है
एक मासूम ने रोका है इस कदर
उसकी फ़िक्र में अधूरी हो रही है
क्या लिखूं अब दास्ताँ मै उसकी
देख नसीब, मेरी कलम रो रही है
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पता होता है, ये ख़्वाहिशे वादे और दिलाशे सब झूठे हैं .!
मगर जीने के लिए, कुछ ग़लतफहमियाँ जरूरी होती हैं ...!-
लफ्ज़ो को मोड़कर रखना मुमकिन नही है
जनाब,
अगर लफ्ज़ो में अहसास हुए तो
तकलीफ आपको ही होगी-
उनकी गुजारिश है कि बादल बरस जाएँ
पर बहुत कम लगते आसार है..
वो कहते है कि कपड़े ढंग से पहनो
क्या करे, लिबास भी तो तार तार है
चेहरों पर मुश्कुराहट क्यों ढूंढ़ते हो
गुम तो हर किसी के दिल का करार है
अजब सी कसमसाहट है रिश्तो में
हर रोज बढ़ती जाती दरार है
हर घर कि कहानी है अब तो,
सहर ऒ शाम कश्मकश तकरार है
झुकती हूं जब सजदे में तेरे,मेरे मालिक
आता सिर्फ तभी दिल को सुकून ऒ करार है
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कफ़स ए मोहब्बत में पनाह मिल जाये
तुम तक जाती हुयी कोई राह मिल जाये
कोरे कागज पर दस्तखत करके बैठी हूं
सजा मिल चुकी, अब गुनाह मिल जाये
दिल की तलाशी से इसलिए खौफजदा हूं
ना जाने किस कोने में दवी आह मिल जाये
ढूंढो दिलो के मलबो में सिद्दत से मुझे
तुम्हे भी शायद, कोई तुम सा तबाह मिल जाये
फ़साने खूबसूरत बने हो,फरेब के उजालो से
गर दिल लगा सिद्दत से, तो पनाह मिल जाये-