कभी आदत कभी चाहत
कभी राहत कभी फ़ुर्क़त
जाने जाना ये सिलसिला क्या है
ये आपका जी हम्म हाँ ये सब क्या है
अख़िर आपके साथ मसला क्या है ....-
नाकाम शायर
Insta I’d- anujshukla976225
~lucknow
कभी आदत कभी चाहत
कभी राहत कभी फ़ुर्क़त
जाने जाना ये सिलसिला क्या है
ये आपका जी हम्म हाँ ये सब क्या है
अख़िर आपके साथ मसला क्या है ....-
अब इतनी ज़हमत उठाएगा कौन
हम रूठ भी जाए तो मनाएगा कौन
हम तो एक अंधेरे कमरे से हो गए
हमारे लिए दीया जलाएगा कौन ....-
कभी उसके बिछड़ जाने का डर हुआ करता था
अब उसके लौट आने की उम्मीद .....-
कभी कभी सोचता हूँ ना जाने क्या हो गया
तू बिछड़ने पे आया तो पत्थर सा हो गया
तुझे क्या पता तेरे जाने के बाद क्या हुआ
तुझे लिखने का सोचा उस रात और इतनी पीकर
के ग़ज़ल रोती रही और शेर सो गया-
तुम से बिछड़कर जाना क्यू ना शब-ए-फ़ुर्कत हो
आख़िर तुम ही तो मेरी जॉन तुम ही तो मेरी नुसरत हो-
वो इश्क़ था मेरा प्यार था
कुछ लम्हों का मेरा यार था
उसे क्या कहूँ कि क्या था वो
बेशक्ल सा एक ख़्वाब था
वो जो मुझमे उसका जुनून था
बस वो ही तो मेरा सुकून था
वो ना आएगा ये मान लू
इसे झूठ क्यू ना जान लू
मेरी शाम-ओ-शब अब मलाल है
हा जीना तो फिर भी फ़िलहाल है ....-