❣️अब दूरियां बढ़ने लगी थी ❣️
मेरी राहें अब मुश्किल भरी थी
चेहरे सामने हज़ार थे
लेकिन मेरे दर्द को महसूस किसी ने नहीं किया
फ़िर भी खुश थी मगर
अंदर से टूट चुकी थी
लगता था हम दोनों के बीच
अब दूरियां बढ़ने लगी थी,,,
रोना भी चाहूं , दर्द छुपाना भी
पर क्या फ़र्क पड़ता है किसी को इससे
मानो सिर्फ़ मैं जी रही थी
पर जीने की कोई उम्मीद नहीं
जब जागा तभी सबेरा ऐसा कुछ हो
मेरे सामने धुंधली मंज़र भी नहीं
अब दूरियां बढ़ने लगी थी,,,,,
गलती क्या थी मेरी बस इतना
की मैंने तुमसे उदास होने का वजह ही पूछी थी
माफ़ करना गलती हुई
अब दोबारा ये गलती करूं
मेरे जिंदगी का सफ़र अब अधूरा नहीं
छोड़ दिया मैंने भी तेरी फ़िक्र करना
मैं शमा की तरह जो जलने लगी थी
अब दूरियां बढ़ने लगी थी,,,,,
-