jahanvi kawche   (शायर JAHANVEE KAWCHE)
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Joined 10 April 2019


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Joined 10 April 2019
16 DEC 2021 AT 23:14

टूटे है आज फिर एक दफ़े ना अब किसी से प्यार हो।

साहब, वो पास बुला कर फिर हमसे बोलेंगे,

समझ जाओ न, तुम तो समझदार हो।

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3 OCT 2021 AT 17:44

दिल धड़क रहा है और नब्ज भी चल रही है।

हमारी लाश पड़ी है ज़मीन पर,

और मौत आने में मनमानी कर रही है।

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1 APR 2021 AT 0:59

मुझे छोड़ कर जाने से पहले,

उसका हाथ थाम मुझे तड़पाने से पहले,

उसकी बाहों में बाहें डाल कर फ़ोटो खिंचाने से पहले,

सात फेरों में उससे बंध जाने से पहले,

उसके साथ पहली रात गुजारने से पहले,

एक बार मेरा क्यो नही सोचा तुमने?

एक बार मेरा क्यो नही सोचा तुमने?

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4 JUL 2020 AT 19:30

सम्भल कर जनाब क्योंकि गहरा राज़ है

"हुस्न-ए-खूबसूरती",

जाने कितने क़त्ल कर गई इसके पीछे छुपी

"दिल-ए-बेदर्दी"।

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18 JUN 2020 AT 10:35

इश्क़ किया था हमने जैसे कृष्ण और राधा,

फिर प्यार भी बट गया दो हिस्सों में आधा आधा।

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26 MAY 2020 AT 0:02

वो पूछते है हमसे, हमारे प्यार की इकाइयाँ,

हमने भी कह दिया ,नाप लीजिए समंदर की गहराईयां।

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25 MAY 2020 AT 13:04

चमक और ठंडक थी कल जब चाँद निकला था।

आज "सुकून-ए-मदहोशी"है, शुकराना रब का,

लगता है आज "ईद" है।

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17 MAY 2020 AT 23:32

हमें कैसे पता होगा की तुम्हे हमसे प्यार नहीं।

एक बार ज़िक्र तो किया होता,

उन आधी आधी रातों की बातों में।

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9 JUL 2021 AT 23:51

आंसुओ की स्याही से दर्द-ए-अल्फाज़ लिखते है।

किस्तो में मारा है हमें हमारी जिंदगी ने साहब,

उस जिंदगी का ही हम कत्ल-ए-अंदाज़ लिखते है।

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18 JUN 2021 AT 19:07

हमदर्द ना बन सको किसी के तो

दर्द को ना बढ़ाया कीजिए।

परेशान है हम सोचते है बहुत,

हो सके तो हमसे थोड़ा अदब से पेश आया कीजिए।

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