jahanvi kawche   (शायर JAHANVEE KAWCHE)
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Joined 10 April 2019


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4 JUL 2020 AT 19:30

सम्भल कर जनाब क्योंकि गहरा राज़ है

"हुस्न-ए-खूबसूरती",

जाने कितने क़त्ल कर गई इसके पीछे छुपी

"दिल-ए-बेदर्दी"।

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25 MAY 2020 AT 13:04

चमक और ठंडक थी कल जब चाँद निकला था।

आज "सुकून-ए-मदहोशी"है, शुकराना रब का,

लगता है आज "ईद" है।

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17 MAY 2020 AT 23:32

हमें कैसे पता होगा की तुम्हे हमसे प्यार नहीं।

एक बार ज़िक्र तो किया होता,

उन आधी आधी रातों की बातों में।

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16 DEC 2021 AT 23:14

टूटे है आज फिर एक दफ़े ना अब किसी से प्यार हो।

साहब, वो पास बुला कर फिर हमसे बोलेंगे,

समझ जाओ न, तुम तो समझदार हो।

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3 OCT 2021 AT 17:44

दिल धड़क रहा है और नब्ज भी चल रही है।

हमारी लाश पड़ी है ज़मीन पर,

और मौत आने में मनमानी कर रही है।

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9 JUL 2021 AT 23:51

आंसुओ की स्याही से दर्द-ए-अल्फाज़ लिखते है।

किस्तो में मारा है हमें हमारी जिंदगी ने साहब,

उस जिंदगी का ही हम कत्ल-ए-अंदाज़ लिखते है।

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18 JUN 2021 AT 19:07

हमदर्द ना बन सको किसी के तो

दर्द को ना बढ़ाया कीजिए।

परेशान है हम सोचते है बहुत,

हो सके तो हमसे थोड़ा अदब से पेश आया कीजिए।

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13 MAY 2021 AT 23:33

दिल के साथ खेलना था तो दिल के खिलाड़ी चुनते साहब,

हम तो पहले ही अपने जज्बातों से हारे हुए थे।

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6 APR 2021 AT 1:43

राते गैरों की बाहों में और

अगली सुबह मेरा हाथ थाम कर चलते हो

गिरगिट हो या इंसान जो हर दफे इतने रंग बदलते हो।

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1 APR 2021 AT 0:59

मुझे छोड़ कर जाने से पहले,

उसका हाथ थाम मुझे तड़पाने से पहले,

उसकी बाहों में बाहें डाल कर फ़ोटो खिंचाने से पहले,

सात फेरों में उससे बंध जाने से पहले,

उसके साथ पहली रात गुजारने से पहले,

एक बार मेरा क्यो नही सोचा तुमने?

एक बार मेरा क्यो नही सोचा तुमने?

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