.... कविता......
देखो , मत करना विस्वास सघन ,
कितना भी कोई, खास लगे
दोस्तों,,,,,
वे जो,, अपनों की सूरत में रहते
जैसा, हम कहते , वो... कहते
लगा मुखौटा प्यार का,
बस मीठी - मीठी बातेँ करते
रखते मकसद, जता सके
कि, उनके होनें का एहसास लगे
ये वही है
जो साले,
खूब, हँस-हँस,
गले, लग-लग,
ससुरा के,,,,
जड़, काटने की फिराक में हैं
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