सुनो न...
जर्जर नफ़्ज लौटायी है तुमने
ऐतबार पर अब ऐतबार दुबारा क्या करेंगे..
ये अश्क़ भी बाहर आने से कतराते हैं
कि उस बेवफ़ा की याद में क्यों रोएंगे..
क्या जताएं गिला शिकवा हम तुमसे
अश्क़ पिकर बस यूँही ताउम्र मुस्कुराएंगे..
ये इश्क़ तो अब हमारे वश की नहीं
हसरतें मिटाकर सारी...
शिद्दत से ये उल्फ़त निभाएंगे..
❤️❤️❤️
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