जिसने इतना स्वादिष्ट अचार बनाया ...
जिसने इतने प्यार से मुझे खिलाया ...।
मन करता है उन हाथों को चूम लूं ..
और खुशी के मारे झूम लू...।
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माँ के बनाये आचार के साथ
.....विचार भी जन्म लेते है...
माँ के बनाये खाने में..
... स्वाद अनगिनत रहते है-
Achhi yaadon ka achaar bana kar rakho Taki lambe samay tak chal sake
Buri yaadon ki chatni bana kar rakho
Taki jaldi hi khatam kar sake-
Jab shauk_e_deedar hi nah rahega..
Aap apne husan ka kya achar daliyega..-
मेरी दादी गर्मियों में आम का अचार बनाती थी...
वो मसालों के साथ रिश्तों का प्यार मिलाती थी....
( पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें📝🙏)-
तुम जिसकी वजह से दारू पिने लगे हो,
वो अब किसी और की वजह से अचार खाने लगी है।-
कोरोना के डर से,
चाहे लगे लोगों को जिन्द़गीं के पल चार।
लेकिन फिर भी मम्मी लोग,
डाल रही है साल भर के लिए अचार।-
Ek achar hi to hai ..
Jo khane me swad banaye rakha hai...!
Warna iss quarantine me to..
Sab Kuch phika phika lagta hai...!!-
उसकी मोहब्बत में अब पछताने लगा हूं
आम का अचार छोड़ आंवले का खाने लगा हूं-