मैं खाता जानवरों का चारा,तुम अनपढ़ सीएम का ब्रांड बन जाती हो।
बेटा हमारा नौवीं फेल,अपने भाइयों से अपहरण कांड करवाती हो।।-
तू पृष्ठ पृष्ठ से खेल रही ।
मैं पृष्ठों से आगे आगे।।
तू व्यर्थ अर्थ में उलझ रही।
मेरी चुप्पी उत्तर मांगे।।
तू ढाल बनाती पुस्तक को।
मैं अपने मन से लड़ता हूँ।।
तू पढ़ती है मेरी पुस्तक।
मैं तेरा मुखड़ा पढ़ता हूँ।।-
इश्क़ में जो डूबे तो किनारा नहीं मिलेगा।
बिछड़ जाओगे यारों से तो सहारा नहीं मिलेगा।।-
हम अपनी जान के दुश्मन को जान कहते हैं।
मोहब्बत की इस मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं।।-
अगर न्याय भगवान से मिलता तो न्यायालय नहीं होता।
अगर ज्ञान सरस्वती से मिलता तो विद्यालय नहीं होता।।-
ऐन मौके पर तस्वीर बदल सकती है।
एक लम्हें में ही तकदीर बदल सकती है।।
खूब विश्वास पड़े तभी भगाना रांझे ।
कटघरे में भी तेरी हीर बदल सकती है।।-
मंदिरों में बांधे हुए धागे का क्या हुआ।
मेरे साथ में किए हुए वादे का क्या हुआ।।
मैंने सुना है शादी भी की है उसने किसी से।
कभी न बदलने का इरादे का क्या हुआ।।-
चंद गज की शहरियत किस काम की।
उड़ना आता है तो छत किस कम की।।
जब तुम्हें चेहरे बदलने का है शौक।
फिर तुम्हारी असलियत किस काम की।।-
तुम नगर निगम की जेसीबी,
मैं हूं अवैध निर्माण प्रिये।
तुम चंचल गाय की प्रतिछाया,
मैं खुला घूमता सांड प्रिये।।-