हम अपनी जान के दुश्मन को जान कहते हैं।
मोहब्बत की इस मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं।।-
अगर न्याय भगवान से मिलता तो न्यायालय नहीं होता।
अगर ज्ञान सरस्वती से मिलता तो विद्यालय नहीं होता।।-
ऐन मौके पर तस्वीर बदल सकती है।
एक लम्हें में ही तकदीर बदल सकती है।।
खूब विश्वास पड़े तभी भगाना रांझे ।
कटघरे में भी तेरी हीर बदल सकती है।।-
मंदिरों में बांधे हुए धागे का क्या हुआ।
मेरे साथ में किए हुए वादे का क्या हुआ।।
मैंने सुना है शादी भी की है उसने किसी से।
कभी न बदलने का इरादे का क्या हुआ।।-
चंद गज की शहरियत किस काम की।
उड़ना आता है तो छत किस कम की।।
जब तुम्हें चेहरे बदलने का है शौक।
फिर तुम्हारी असलियत किस काम की।।-
तुम नगर निगम की जेसीबी,
मैं हूं अवैध निर्माण प्रिये।
तुम चंचल गाय की प्रतिछाया,
मैं खुला घूमता सांड प्रिये।।-
मैं कतरा होकर भी दरिया से जंग करता हूं,
मुझे बचाना समंदर की जिम्मेदारी है।
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत,
ये एक चिराग कई आंधियों पर भारी है।।
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नहीं हममें कोई अन बन नहीं है।
बस इतना है कि अब वो मन नहीं है।।
मैं अपने आप को सुलझा रहा हूँ।
तुम्हें लेकर कोई उलझन नहीं है।।-
गुजर गया जो किसी दिन गुजरने वाला था।
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था।।
मेरा नसीब ऐसा कि मेरे हाथ कट गए।
वरना मैं तेरी मांग में सिंदूर भरने वाला था।।
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