नहीं सह पाती धूल अब ये मेरी आंखें,
जैसे कभी वो नज़रे बोलती थी उनमें कैद हो गई हजारों बातें।-
दोस्तों आज हम अपनी आप बीती सुनाते हैं
अपनी और अपने सहपाठी की बात बताते हैं
उनसे पहली मुलाकात का दिलकश था नजारा
उन्हें देखते ही सारा होश उड़ गया था हमारा
वो तो मुझे देखते ही जरा सा मुस्कुरा दिये
और इस तरह वो मेरा दिल हौले से चुरा लिये
उनके सौन्दर्य को देखने से मेरा मन मचल गया
मानो जैसे मुझ गरीब को कोहिनूर मिल गया
मैं तो बस उन्हें देखने मे ही गुम सा हो गया
देखते ही देखते मेरा पैर इश्क मे फ़िसल गया
मैने भी ना देर करके हाथ अपना बढ़ा दिये
उनके भी हाथ बढ़े और हम दोनों हाथ मिला लिये
इसके बाद क्या करे कुछ समझ ना आ रहा था
मेरे दिल तो बस जोर-जोर से धड़कता जा रहा था
फ़िर बहुत कोशिशे करके खुद को होश मे लाया
फ़िर हम दोनों ने एक-दूसरे का हाल बतलाया
उन्होने मुझसे कुछ इस कदर बात बतलाया
क्या होता है अपनापन ये उन्होने एहसास दिलाया
कुछ देर बातो का सिलसिला यू ही चलता गया
हाँ उसी वक्त मेरा भी नाम आशिक़ो मे जुड़ गया
इस तरह इश्क का दौर हम दोनों के शुरु हो जाते हैं
इसके आगे जो हुआ कभी वक्त मिलने पर बताते हैं-
Ik sapna hai mera sapne vich tu aave
Phir subah tak naa jave
ammi bhi chillave didi bhi chillave
Tu phir bhi na jave
Jab tak bappa na aaave
Sunave gallan teekhi vo
Lagave char chapaten vo
Yahi routin roj ka hai
Tab jake nindiya hai jave
Tu mennu kitna tadpave
Haqeekat me q na aave
Samasya meri vikat hai ye
Ise q samajh na tu paave
Roj tu Hamka pitvaye
Gadbad kitthe ho per vo
Bat teri le aave hain
Nam tera lalaker sab
Roj sab hamen chidhave hain ...
-amitsmart
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रख रही है जिसे दिल से लगाकर,
कही एक दिन तेरा दिल ना तोड़ दे,
निभा के चलती है हर रिश्ता अपने बच्चे के लिए,
कही बड़ा होके रिश्ता ना तोड़ दे,
आज कल पैसे के मोह मैं अन्धे हो गए है
कही एक दिन तेरी ममता को ना बेच्दे....
रख रही है जिसे दिल से लगाकर,
कही एक दिन तेरा दिल ना तोड़ दे.!
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यूँ ही हम सबको लाइक करते रहे..….
यूँ ही हम सबको लाइक करते रहे...
वो हमको स्किप करके निकल गए.....
😢😢😢😢-
☠️आपबीती ☠️
इक आहट , इक साया ।
इक धूमिल सी काया ।
हर - पल
छल - बल
इक सन्नाटा, इक त्रास ।
इक रुकती सी सांस।
हर - ओर
क्षण- शोर ।
इक कोना, इक रोना ।
इक हंसता सा खिलौना ।
हल - चल ।
स्वयं - अटल ।
इक कहर ,इक शहर ।
इक क्रदिंत सी पहर ।
छल - छल।
थल - जल ।-
सारी ताकत लगा देने के बाद भी
आपलोगों के दिल तक नहीं पहुँच पा रही...
मतलब कि अभी मुझ में वो हुनर नहीं. 🙏-
आप बीती लिख तो लूं पर वो शब्द कहाँ से लाऊं
जो पीड़ा मन की है उसे किस तरह व्यक्त कर पाउँ
सिर्फ़ कलम पकड़ लेने से किताबें नहीं गढ़ी जाती
जो भाव उत्सुक बनाएं लेखनी में जादू कैसे जगाऊँ
ऐसा धारदार लिखूं कि सत्य का अस्तित्व बना रहे
और मेरी आपबीती भी कहानी बन व्यक्त हो जाये
जया सिंह-
guzr rahi hu mai
wqt ke aese imtihan se
mano fad dale ho panne kisi ne
meri un khusiyo k kitaab se..-