shilpi Gupta   (Shilpi gupta)
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Joined 27 February 2020


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Joined 27 February 2020
11 JAN 2022 AT 10:54

मैं हर दिन अपने गमों पर
पैबन्द लगाती हूँ,
फिर भी कहीं न कहीं से
सिलाई खुल ही जाती है
शायद!
मुझे सिलाई नहीं आती,
या फिर धागा ही कच्चा है ..

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18 MAY 2021 AT 14:08

आज फिर इन 'आँसुओं' ने
मेरे 'आंखो' में
डेरा जमाया है,
बोला-'नहाया' नहीं तू अर्से से
तुझे तेरे ही 'समुंदर' में डुबकी लगवाया है..

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30 MAR 2021 AT 10:01

मोर नाचते हुए भी
रोता है
और हंस मरते हुए भी
गाता है
दुखों वाली रात नींद
किसे आती है
और खुशी वाली रात
कौन सोता है
यही तो ज़िंदगी का
उसूल होता है
ज़नाब!

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29 MAR 2021 AT 13:39

प्रह्लाद
संग
होली
जलाई हैं,
विष्णु की
भक्ति
रंग लाई है
आज ना कोई
सिक्ख
ना कोई इसाई है
ये तो बेरंग
दुनियां में
रंग
भरने
आई है
होली आई
है..
आई है
होली आई
है ..

Shilpi gupta happy holi!
Friends

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26 MAR 2021 AT 18:23

बहुत रोया है मैंने,
बहुत कुछ खोया है मैंने
गिर-गिर कर खुद से ही
संभलना सीखा है मैंने
ज़िन्दगी किस ओर
ले जाएगी मुझे
ये तो कभी
सोचा ना
मैनें

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2 MAR 2021 AT 16:12

कुछ इस कदर
मैं
'बद'नाम हो गईं
खुद से बेखबर
सर-ए-आम हो गईं..

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21 FEB 2021 AT 21:44




हमने "ना" क्या कह दिया,
हम बदचलन,बद्जुबान हो गए..



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7 OCT 2020 AT 15:03


अगर वो बाजारु औरत है
तो उसे बाजारु बनाने वाले भी है
आप जैसे लोग

अगर वो बिकाऊ है
तो उसे खरीदने वाले भी हैं
आप जैसे लोग

महफ़िल सज़ाने के लिये उसे
बुलाते भी हैं
आप जैसे लोग

फिर खुद ही कीचड़ बता कर उसे
बाहर फेंकते भी है
आप जैसे लोग

इनके दर्द को
कभी नहीं समझ पाएंगे
आप जैसे लोग..

SHILPI GUPTA

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16 JUN 2020 AT 11:22

बेशक़ आतम हत्या समाधान ना होता ,
जीते जी पढ़ लेते उसकी खामोशी
वो ऐसा ना करता
ज़नाब वो करता भी क्या
मनोरंजन की दुनिया में
जख्म भी सबको मनोरंजन ही दिखता
इन्सान ही इन्सान को इतना मज़बूर कर देता
शायद इसके सिवा उसे कोई समाधान ना दिखता
मरना कौन चाहता बस मर जाना पड़ता।

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20 FEB 2021 AT 12:06

Kisi ko parkhna
mere bas me
Kahan
Ye to
Sahi wqt
Hi btatata hai
Kaun apna hai
Kaun praya..

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