मैं हर दिन अपने गमों पर
पैबन्द लगाती हूँ,
फिर भी कहीं न कहीं से
सिलाई खुल ही जाती है
शायद!
मुझे सिलाई नहीं आती,
या फिर धागा ही कच्चा है ..-
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आज फिर इन 'आँसुओं' ने
मेरे 'आंखो' में
डेरा जमाया है,
बोला-'नहाया' नहीं तू अर्से से
तुझे तेरे ही 'समुंदर' में डुबकी लगवाया है..-
मोर नाचते हुए भी
रोता है
और हंस मरते हुए भी
गाता है
दुखों वाली रात नींद
किसे आती है
और खुशी वाली रात
कौन सोता है
यही तो ज़िंदगी का
उसूल होता है
ज़नाब!-
प्रह्लाद
संग
होली
जलाई हैं,
विष्णु की
भक्ति
रंग लाई है
आज ना कोई
सिक्ख
ना कोई इसाई है
ये तो बेरंग
दुनियां में
रंग
भरने
आई है
होली आई
है..
आई है
होली आई
है ..
Shilpi gupta happy holi!
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बहुत रोया है मैंने,
बहुत कुछ खोया है मैंने
गिर-गिर कर खुद से ही
संभलना सीखा है मैंने
ज़िन्दगी किस ओर
ले जाएगी मुझे
ये तो कभी
सोचा ना
मैनें-
हमने "ना" क्या कह दिया,
हम बदचलन,बद्जुबान हो गए..
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अगर वो बाजारु औरत है
तो उसे बाजारु बनाने वाले भी है
आप जैसे लोग
अगर वो बिकाऊ है
तो उसे खरीदने वाले भी हैं
आप जैसे लोग
महफ़िल सज़ाने के लिये उसे
बुलाते भी हैं
आप जैसे लोग
फिर खुद ही कीचड़ बता कर उसे
बाहर फेंकते भी है
आप जैसे लोग
इनके दर्द को
कभी नहीं समझ पाएंगे
आप जैसे लोग..
SHILPI GUPTA
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बेशक़ आतम हत्या समाधान ना होता ,
जीते जी पढ़ लेते उसकी खामोशी
वो ऐसा ना करता
ज़नाब वो करता भी क्या
मनोरंजन की दुनिया में
जख्म भी सबको मनोरंजन ही दिखता
इन्सान ही इन्सान को इतना मज़बूर कर देता
शायद इसके सिवा उसे कोई समाधान ना दिखता
मरना कौन चाहता बस मर जाना पड़ता।-
Kisi ko parkhna
mere bas me
Kahan
Ye to
Sahi wqt
Hi btatata hai
Kaun apna hai
Kaun praya..-